वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिक को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
कोर्ट ने इससे पहले दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. हिंदू पक्ष की मांग है कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग तकनीक को अपनाया जाए, जिससे की सही उम्र का पता लगाया जा सके, तो वहीं मुस्लिम पक्ष कथित शिवलिंग को फव्वारा बता रहा है. वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है.
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है। कार्बन डेटिंग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही पता चलती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है। पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है। अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है।