एडीएआर की रिपोर्ट, 514 सांसदों के चुनावी हलफनामे का किया सर्वेक्षण
नौ वर्तमान सांसदों ने अपने ऊपर हत्या से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं, जिनमें से भाजपा के 5 वर्तमान सांसद
बालाजी न्यूज़ : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने लोकसभा 2019 के 543 में से 514 वर्तमान सांसदों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है। अकबरपुर से चुनाव लड़ने वाले भाजपा सांसद देवेन्द्र सिंह का शपथपत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका विश्लेषण नहीं किया गया है और 28 सीटें रिक्त हैं। यह विश्लेषण 2019 के लोकसभा चुनावों और उसके बाद हुए उपचुनावों में उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों पर आधारित है।
17वीं लोकसभा के वर्तमान 514 में 225 (44) फीसदी) सांसदों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं, वहीं 149 (29) फीसदी) सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक हिंसा, अपहरण, महिलाओं के ऊपर अत्याचार इत्यादि से सम्बन्धित अपराध शामिल हैं।
नौ वर्तमान सांसदों ने अपने ऊपर हत्या से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं, जिनमें से भाजपा के 5 वर्तमान सांसद, कांग्रेस, बीएसपी और वाईएसआरसीपी प्रत्येक से 1 और निर्दलीय से एक वर्तमान सांसद है।
16 वर्तमान सांसदों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं। इन 16 में से 3 वर्तमान सांसदों ने अपने ऊपर बलात्कार (आईपीसी-376) से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं।
कांग्रेस के 57 फीसदी सांसद आपराधिक
वर्तमान सांसदों का दलवार आपराधिक प्रतिशत देखा जाए तो कांग्रेस के वर्तमान 57 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज है। भाजपा के 294 में से 118 (40 प्रतिशत), कांग्रेस के 46 में से 26 (57 प्रतिशत), डीएमके के 24 में से 11 (46 प्रतिशत), एआईटीसी के 19 में से 8 (42 प्रतिशत), जेडी (यू) के 16 में से 12 (75 प्रतिशत) और वाईएसआरसीपी के 17 में से 8 (47 प्रतिशत) वर्तमान सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए है।
गंभीर आपराधिक मामलों के दलवार आंकड़े
गंभीर आपराधिक मामलों वाले वर्तमान सांसदों का दलवार प्रतिशत देखा जाए तो भाजपा के 294 में से 87 (30) प्रतिशत), कांग्रेस के 46 में से 14 (30 प्रतिशत), डीएमके के 24 में से 7 (29 प्रतिशत), एआईटीसी के 19 में से 4 (21) प्रतिशत), जेडी (यू) के 16 में से 8 (50 प्रतिशत) और वाईएसआरसीपी के 17 में से 7 (41 प्रतिशत) वर्तमान सांसदों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए है।
केरल के 85 और बिहार के 78 फीसदी सांसद आपराधिक
सांसदों पर दर्ज आपराधिक मामलों का राज्यवार विशलेषण किया जाए तो उत्तर प्रदेश के 76 में से 41 (54 प्रतिशत), महाराष्ट्र के 46 में से 25 (54 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल के 40 में से 23 (58 प्रतिशत), बिहार के 40 में से 31 (78) प्रतिशत), तमिलनाडु के 39 में से 19 (49) प्रतिशत), कर्नाटक के 28 में से 10 (38) प्रतिशत), केरल के 20 में से 17 (85 प्रतिशत), आन्ध्र प्रदेश के 22 में से 11 (50 प्रतिशत), तेलंगाना के 13 में से 7 (54 प्रतिशत) और 4 में से 3 (75 प्रतिशत) हिमाचल प्रदेश के लोक सभा सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। राजस्थान के वर्तमान 25 में से 19 फीसदी सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज हैं।
गंभीर अपराधों में बिहार के सांसद आगे
सांसदों पर दर्ज गंभीर आपराधिक मामलों की बात की जाए तो बिहार के सांसद सबसे आगे हैं। अन्य राज्य के सांसद भी पीछे नहीं
बिहार के 40 में से 22 (55 प्रतिशत) सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
उत्तर प्रदेश के 76 में से 33 (43 प्रतिष्ठत),
महाराष्ट्र के 46 में से 13 (28) प्रतिशत),
पश्चिम बंगाल के 40 में से 16 (40 प्रतिशत),
तमिलनाडु के 39 में से 11 (28 प्रतिशत),
कर्नाटक के 28 में से 6 (21 प्रतिशत),
केरल के 20 में से 8 (40 प्रतिशत),
आन्ध्र प्रदेश के 22 में से 8 (36 प्रतिशत),
तेलंगाना के 13 में से 5 (38 प्रतिशत) और
हिमाचल प्रदेश के 4 में से 2 (50 प्रतिशत)
राजस्थान के 5 फीसदी सांसदों पर ही आपराधिक मामले दर्ज हैं।
साभार महानगर टाइम्स