हजारीबाग: पुलिस की कार्यशैली पर सवाल – रात 11 बजे मातम वाले घर में घुसने पर ग्रामीणों में नाराजगी

हजारीबाग: #झारखंड के हजारीबाग जिले के #कटकमसांडी प्रखंड के #खुटरा गांव में रविवार रात पुलिस की एक घटना ने पुलिस और पब्लिक के बीच तनाव पैदा कर दिया है। यह घटना तब हुई जब पुलिस रात के समय एक फरार वारंटी को पकड़ने के लिए गांव में आई। हालांकि, वारंटी पुलिस के पहुंचने से पहले ही भागने में सफल रहा। इस घटना के बाद पुलिस ने संदेह के आधार पर आसपास के घरों में छापा मारा, लेकिन इस कार्रवाई के दौरान एक दुखद स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसने ग्रामीणों की नाराजगी को और बढ़ा दिया।

पुलिस की संदिग्ध कार्रवाई और मातम का माहौल

पुलिस की यह कार्रवाई उस समय सवालों के घेरे में आई जब उन्होंने रात करीब 11:00 बजे एक शोकाकुल घर में दस्तक दी। इस घर के मुखिया की शनिवार देर शाम को बिजली के करंट लगने से मौत हो गई थी। इसी घटना में एक महिला, मुस्तरी बेगम, भी घायल हो गई थीं। रविवार को ही मृतक को मिट्टी दी गई थी, और घर में गहरा शोक का माहौल था। ऐसे में पुलिस द्वारा रात को दरवाजा खुलवाने और घर में घुसकर महिलाओं से कथित तौर पर गाली-गलौज करने की घटना ने गांव में हलचल मचा दी।

ग्रामीणों का आक्रोश और पुलिस पर आरोप

घटना के बाद सोमवार को गांव के पंचायत के मुखिया, पूर्व उप मुखिया कमरुद्दीन जमा, पंचायत समिति के सदस्य प्रदीप मिश्रा और सैकड़ों ग्रामीणों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि पुलिस ने शोकाकुल घर के दरवाजे को तोड़कर जबरन प्रवेश किया और गाली-गलौज की। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने इस दौरान घर के किसी सदस्य पर न तो कोई मुकदमा दर्ज किया है और न ही कोई वारंटी घर में था। बावजूद इसके, पुलिस ने अनुचित व्यवहार किया और घर में छापा मारा।

पुलिस कार्रवाई की वैधता पर सवाल

घायल महिला, मुस्तरी बेगम, ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि करंट लगने से उनके दोनों पांव जल गए थे और वे उठ नहीं पा रही थीं। इस स्थिति में, जब पुलिस दरवाजा तोड़कर घर में घुसी, तो उनके जख्म पर और चोट लग गई। मुस्तरी बेगम ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे अभद्र भाषा का प्रयोग किया और गाली-गलौज की। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्रवाई में न तो महिला पुलिसकर्मी थी और न ही थानेदार मैडम थीं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस का यह व्यवहार अनुचित नहीं था?

पुलिस का पक्ष और ग्रामीणों के आरोपों का खंडन

इस मामले में पेलावल थाना प्रभारी ने ग्रामीणों के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उनका कहना था कि पुलिस फरार वारंटी को पकड़ने के लिए रात में गई थी, और उन्हें इस बात का पता नहीं था कि जिस घर में वे गए थे, वहां मातम का माहौल था। थाना प्रभारी ने कहा कि पुलिस ने घर के सदस्यों से बातचीत की, लेकिन वहां से भी आरोपी भागने में सफल रहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुलिस पर लगाए गए आरोप झूठे और आधारहीन हैं।

आंदोलन की चेतावनी और आगे की कार्रवाई

इस घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए हजारीबाग पुलिस अधीक्षक, डीआईजी और कमिश्नर से शिकायत करने की बात कही है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में थानेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन और धरना देने के लिए मजबूर होंगे।

निष्कर्ष

यह घटना न केवल पुलिस और जनता के बीच विश्वास की कमी को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह की परिस्थितियों में पुलिस को अपनी कार्रवाई को संवेदनशील और विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उनकी कार्रवाई किसी निर्दोष नागरिक के लिए परेशानी का कारण न बने। ग्रामीणों का आक्रोश और पुलिस की प्रतिक्रिया के बीच इस घटना ने क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है, और अब सबकी नजरें प्रशासन की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।

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