बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की जमानत निरस्त करने की सीबीआई की मांग पर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान तेजस्वी यादव के वकीलों ने केंद्र सरकार पर विपक्ष के खिलाफ सीबीआई व ईडी का दुरुपयोग का आरोप मढ़ा। सीबीआई ने भी अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राजद नेता को फटकारते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पाया कि जमानत निरस्त करने कोई खास आधार नहीं हैं। कोर्ट में तेजस्वी यादव के भाषण के अंश को बार-बार पढ़ा जा रहा है और सीबीआई उसके वकील उसका निष्कर्ष निकाल रहे हैं, कि कैसे वो जांच प्रभावित करने का तरीका है. सीबीआई की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि हमने कभी तेजस्वी को गिरफ्तार करने की कोशिश भी नहीं की. लेकिन अगर वो इस स्तर पर आ जाते हैं कि जांच एजेंसी को धमकाएं तो बेल कैंसल होनी चाहिए.
सीबीआई ने 2017 में तेजस्वी यादव, लालू यादव, राबड़ी देवी समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ IRCTC घोटाले में केस दर्ज किया था। जिस केस में 2018 में तेजस्वी यादव को जमानत मिली थी। यह पूरा मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उस दौरान IRCTC के रांची और पुरी के दो होटलों को लीज पर प्राइवेट कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि होटलों को लीज पर दिए जाने के बदले पटना के बेली रोड में करीब तीन एकड़ की कीमती जमीन लालू परिवार को दी गई। आरोप है कि रेलवे के होटलों को लीज पर देने के एवज में डिलाइट कंपनी को जमीन दी गई और बाद में उस कंपनी से लारा कंपनी ने काफी कम कीमत में जमीन खरीद ली। डिलाइट कंपनी आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी की है।