

दवा इंसान के जिंदगी की वो जरुरत है जिसे हर बिमार विक्ति सेहतयाबी के लिए खाता है उस के लिए चाहे पास में पैसा हो या ना हो उधार लेकर भीख मांग कर जमीन बेच कर चोरी कर लूट कर इज्जत को दांव में लगा कर पोरोप्रटी गिरवी रख कर जेवर बेच कर चाहे वो घडी कैसा भी हो अपने एलाज के लिए कुछ भी करने को तत्पर होता है यहां एक बात ये भी सत्य है की उपर वाले ने जब जहां जो होनी अन होनी को जानता है इसलिए दुआ के साथ दवा से भी रोग को अच्छा करने को कहा
अब ऐसे में कहना यह है की हर एक इंसान की सब से जरुरी चीज दवा है तो फिर आसमान छूता दाम इतना क्यों है?
भारत में जितनी भी दवाई कंपनियां हैं उस पर जो एम आर पी लगाते हैं वो 70 ,80,90, गुणा बढ़ा कर कियुं लिखते हैं?
जब दवा कंपनियां 10,20,30, % में होलसेलर को छोड़ता है फिर वो अपने हिसाब से मुनाफ़ा रख रिटेलर के पास आता है और यहीं से परेशानी आम जन को उठाना पड़ता है आखिर कब मिलेगा इस लूट से छुटकारा?
इतने के बाद भी दोहन से मन भरता नहीं तो सरकारी टैक्स का बोझ अलग से आखिर इस ओर केंद्र सरकार का ध्यान क्यूँ
नहीं जा रहा ?
एक ही दवा कई कंपनियां बनाती है फिर उनका रेट अलग क्यूं?
सरकार सिर्फ गरीबों की बात मंच पर आ कर बोलती है लेकिन ख्याल बड़े उद्योगपतियों का ज्यादा रखती है
इह ओर शायद कोई पक्ष या विपक्ष तथा पार्टी को संज्ञान में लेने का समय नही इस ओर देश की जनता को मुखर हो कर आवाज़ उठानी होगी

