ये लक्षणों के नज़र आने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल लेकर जाना चाहिए

विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर एएनएम स्कूल के सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

चैन की सांस लेगा बचपन, जब आप तुरंत पहचानें निमोनिया के लक्षण, निमोनिया नही तो बचपन सही

निमोनिया प्रबंधन को लेकर सांस कार्यक्रम की हुई शुरुआत: डीसीएम
निमोनिया से मृत्यु दर को कम करके प्रति हज़ार जीवित शिशु को 3 से कम करना:

पूर्णिया: निमोनिया से ज़्यादातर छोटे-छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं। हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। फेफड़ों में इंफेक्शन होने कारण ही निमोनिया जैसी बीमारी होती है, जिसका मुख्य कारण सांस लेने में दिक्कत होना है। अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती हैं। विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर के एएनएम स्कूल के सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर जिला सामुदायिक समन्वयक संजय कुमार दिनकर, डॉ अनिल कुमार शर्मा, केयर इंडिया के डिटीएल आलोक पटनायक, प्रशिक्षक के रूप में यूनिसेफ़ के नंदन कुमार झा एवं तनुज कौशिक, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित प्रतिभागी के रूप में ज़िले के सभी प्रखण्डों के प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक शामिल हुए।

निमोनिया प्रबंधन को लेकर सांस कार्यक्रम की हुई शुरुआत: डीसीएम
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक संजय कुमार दिनकर ने कहा कि बच्चों में होने वाली बीमारी निमोनिया के प्रबंधन को लेकर 2019 के नवंबर महीने से सांस (निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से तीन तरह के रणनीति यथा- उपचारात्मक प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता का कौशल क्षमता का निर्माण करना एवं प्रसार-प्रचार अभियान का सामुदायिक एवं संस्थान स्तर पर आयोजनों को शामिल किया गया हैं। सांस अभियान 2022 का आयोजन विश्व निमोनिया दिवस के दिन यानी 12 नवंबर 2022 से आगामी 28 फरवरी 2023 तक किया जाना है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य माता-पिता एवं देखभाल करने वाले अभिभावकों के बीच निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण एवं देखभाल, प्रबंधन, सुरक्षात्मक उपाय, रोकथाम, रेफरल एवं उपचार जैसे मुख्य बिंदुओं पर समुदाय एवं संस्थान में जागरूकता पैदा करने के साथ ही पीसीवी टीकाकरण को भी बढ़ावा देना है।

निमोनिया से मृत्यु दर को कम करके प्रति हज़ार जीवित शिशु को 3 से कम करना: नंदन
यूनिसेफ़ के नंदन कुमार झा ने उपस्थित प्रतिभागियों को बताया कि पूरे देश में 05 आयुवर्ग के नीचे के 1.32 लाख बच्चे की मौत होते हैं जिसमें 12 प्रतिशत बच्चे केवल बिहार के होते है। वर्ष 2021/22 के दौरान निमोनिया से मरने वाले बच्चों की संख्या 15706 हैं। मतलब की प्रति घण्टे दो बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। वर्ष 2010 में प्रति हज़ार में से 64 बच्चों की मृत्यु हुई थी जिनकी उम्र 5 वर्ष से कम थी। वहीं कम होकर 2021 में मात्र 34 रह गई हैं। हालांकि वर्ष 2030 तक 25 तक करने की आवश्यकता है। वही 2010 में 1 आयुवर्ग के 48 बच्चों की मृत्यु हुई थी लेकिन 2021 के दौरान 27 हो गई हैं। जन्म के 28 दिनों के अंदर 2010 में प्रति हज़ार में से 31 बच्चों की मौत हुई थी जबकि 2021 मात्र 21 रह गई हैं।

निमोनिया होने के मुख्य लक्षण:
निमोनिया की शुरुआत आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है। जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तो तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में बहुत दिक्कत हो सकती है।

इन लक्षणों के नज़र आने पर बच्चों को अस्पताल लेकर जाना चाहिए:
-तेज़ सांसों का चलना।
-छाती में दर्द की शिकायत।
-थकान महसूस होना।
-भूख में कमी होने की शिकायत।
-अतिरिक्त कमजोरी।

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