नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक ज़रूरी

पूर्णिया: जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका एवं सहायिकाओं द्वारा छः महीने की अवधि पूरा करने वाले नौनिहालों को खीर खिलाकर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। इस दौरान बच्चे के माता एवं अभिभावकों को बच्चों के सही पोषण की जानकारी भी दी गई। समय पर पौष्टिक आहार के सेवन से नवजात शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य ठीक रह सकता है। इसीलिए नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के साथ-साथ अतिरिक्त आहार के रूप में पौष्टिक तत्वों को दिया जाना चाहिए।

आईसीडीएस की डीपीओ राखी कुमारी ने बताया कि अन्नप्राशन दिवस के दौरान आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार सुपाच्य भोज्य पदार्थ देना चाहिए। शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत  अनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दिया जाना चाहिए। माल्टिंग द्वारा तैयार किया गया आहार शिशुओं को अधिक ऊर्जा देती है। नहीं खाने की स्थिति में भी थोड़ी-थोड़ी ऊपरी आहार शिशु को दिन में कई बार देना चाहिए।

बच्चे के दैनिक आहार में हरी सब्जियां एवं मौसमी फल को शामिल कराने के लिए दी गई जानकारी:
महिला पर्यवेक्षिका बैसा प्रखंड की महिला पर्यवेक्षिका माला देवी ने बताया कि अन्नप्राशन के दौरान घर में उपस्थित महिलाओं को भी शिशुओं के लिए 6 माह के बाद के ऊपरी आहार से संबंधित जानकारी दी गयी। उपस्थित ग्रामीणों को 6 माह से 9 माह तक के शिशुओं को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य भोज्य पदार्थ, वहीं 9 से 12 माह के दौरान 300 ग्राम सुपाच्य भोजन जबकि 12 से 24 माह के अंदर वाले बच्चों को 500 ग्राम तक खाना खिलाने की जानकारी दी गई। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जियां और पीले एवं नारंगी फल को शामिल करने की सलाह दी गयी। जिससे शिशुओं में कुपोषण की संभावना कम रहे।

माताओं और अभिभावकों को पोषण किट बनाने की दी गई सलाह: प्रफुल्ल
जीपीएसवीएस के जिला समन्वयक (पोषण) प्रफुल्ल ने बताया कि प्रत्येक महीने आंगनबाड़ी केंद्रों में अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है जिसमें लोगों को पोषण की जानकारी मिल सके। नवजात शिशुओं की माताओं एवं उनके अभिभावकों को पोषण किट बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। ताकि घर पर बनाया गया पौष्टिक आहार जिसे हमलोग ऊपरी आहार के रूप में जानते हैं, उनको तैयार कर के रखने से बच्चों को समयानुसार खिलाया जा सके। पोषण किट स्थानीय स्तर पर मिलने वाले अनाजों को मिलाकर बनाया जाता है। वहीं गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व तैयारी कराने की जिम्मेदारी भी आंगनबाड़ी सेविकाओं की होती है। ताकि प्रसव के दौरान किसी भी तरह से कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़े।

दिलशाद को खीर खिलाकर मनाया गया अन्नप्राशन दिवस: मोहम्मद शब्बीर
बैसा प्रखंड के पोषण समन्वयक मोहम्मद शब्बीर ने बताया कि स्थानीय प्रखंड के कटहल बाड़ी गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 55 की सेविका आतिया प्रवीण के द्वारा मोहम्मद कासिम एवं दिलशबा के 6 माह के पुत्र दिलशाद को खीर खिलाकर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। वहीं सेविका द्वारा नियमित रूप से टीकाकरण को लेकर जागरूक किया गया। नियमित टीकाकरण कराने से कई तरह की संक्रामक बीमारियों से नवजात शिशुओं को सुरक्षित रखने में मदद मिलती हैं। बच्चे को सही आहार देने से उसका मस्तिष्क तेजी से विकास करता हैं। पौष्टिक आहार के रूप में 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध एवं उसके बाद ऊपरी आआहार दिया जाना चाहिए। बहुत सी महिलाएं और किशोरियों को एनीमिया की शिकायत रहती है। जिसका असर उनके होने वाले बच्चों पर में भी पड़ता है।

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