बहुविवाह और निकाह-हलाला पर पाबंदी की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह और निकाह-हलाला के मामलों पर विचार के लिए संविधान पीठ बनाने की सहमति दे दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह इन मामलों की सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच का गठन करेंगे। शीर्ष अदालत के सामने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह मामला उठाया और कहा कि इन मामलों की सुनवाई के लिए नए संवैधानिक बेंच के गठन की जरूरत है क्योंकि पहले की बेंच के दो जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस इंदिरा बनर्जी रिटायर हो गईं।

इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम बेंच का गठन करेंगे।सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2018 को निकाह हलाला और बहुविवाह की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था। निकाह हलाला, बहुविवाह को गैर संवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया की संवैधानिक बेंच में 30 अगस्त को मामला सुनवाई के लिए आया था। तब बेंच ने इस मामले में एनएचआरसी, राष्ट्रीय महिला आयोग और नैशनल कमिशन फॉर माइनॉरिटीज को भी नोटिस जारी किया था। इसके बाद 23 सितंबर को जस्टिस बनर्जी और 16 अक्टूबर को जस्टिस गुप्ता रिटायर हो गए।

याचिका में कहा गया है कि निकाह हलाला की प्रथा में एक तलाकशुदा महिला को पहले किसी और से शादी करना होती है। इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अपने पहले पति से फिर शादी करने के लिए तलाक लेना पड़ता है। दूसरी ओर, बहुविवाह एक ही समय में एक से अधिक पत्नी या पति होने की प्रथा है। बता दें, इससे पहले शीर्ष कोर्ट तीन तलाक की प्रथा को अवैध करार दे चुकी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करते हुए ऐसा करने पर सख्त सजा का प्रावधान कर दिया है।

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