समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत कानूनी मान्यता देने की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस पर शुक्रवार को CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और भारत के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया। इस पर जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि यह मुद्दा समलैंगिक जोड़ों के ग्रेच्युटी, गोद लेने, सरोगेसी जैसे मूल अधिकारों को प्रभावित करता है। यहां तक कि उन्हें ज्वाइंट अकाउंट खोलने में भी मुश्किल होती है। याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन 4 किसी भी दो व्यक्तियों को विवाह करने की इजाजत देता है, लेकिन सब-सेक्शन (C) की शर्तें सिर्फ पुरुषों और महिलाओं के लिए इसके आवेदन को प्रतिबंधित करती हैं। उनकी कोर्ट से मांग है कि कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए।