हैदराबाद.हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस सफलतापूर्वक रॉकेट लॉन्च करने वाली देश की पहली निजी कंपनी है। कंपनी का कहना है कि सैटेलाइट के लॉन्च के लिए प्रति किलोग्राम कॉस्ट 10 डॉलर तक नीचे लाई जा सकती है जो अभी हजारों डॉलर है। इस कंपनी में सिंगापुर के सॉवरेन फंड GIC का पैसा लगा है।कंपनी के फाउंडर्स ने रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि कंपनी करीब 400 संभावित कस्टमर्स के साथ संपर्क में है। आने वाले दिनों में कंपनियां स्पेसएक्स के स्टारलिंक की तरह ब्रॉडबैंड सर्विसेज देना चाहती हैं।
इसके लिए वे हजारों छोटे सैटेलाइट छोड़ने की योजना बना रही हैं। साथ ही सप्लाई चेन की ट्रैकिंग और ऑफशोर ऑयल रिग्स की निगरानी के लिए भी सैटेलाइट्स की मदद लेने की योजना है। स्काईरूट के सामने कई स्थापित और अपकमिंग कंपनियों से चुनौती है। पिछले हफ्ते चीन की एक स्टार्टअप कंपनी Galactic Energy ने अपने चौथे सफल लॉन्च में पांच सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित किए। इसी तरह जापान की कंपनी स्पेस वन इस दशक के मध्य तक हर साल 20 छोटे रॉकेट लॉन्च करने की योजना बना रही है।लेकिन स्काईरूट का कहना है कि वह स्थापित कंपनियों के मुकाबले आधी कीमत पर सैटेलाइट लॉन्च करेगी। स्काईरूट की स्थापना 2018 को पवन चांदना और नाग भरत डाका ने की थी। चांदना ने कहा कि अगर अगले साल कंपनी के लॉन्च सफल रहे तो उसकी डिमांड बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि अधिकांश कस्टमर सैटेलाइट्स का समूह बना रहे हैं और इन्हें अगले पांच साल में लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट के लॉन्च के लिए प्रति किलोग्राम कॉस्ट 10 डॉलर तक नीचे लाई जा सकती है जो अभी हजारों डॉलर है।वे स्पेसएक्स के सीईओ और दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क को अपना आदर्श मानते हैं।
चंदना ने कहा कि स्पेसएक्स प्रेरणास्रोत है। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी उन्हें मस्क से बात करने का मौका नहीं मिला है। चंदना ने कहा, ‘शायद आजकल वह ट्विटर को चलाने में बिजी हैं।’ मस्क ने हाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को खरीदा है। मस्क की कंपनी स्पेसएक्स रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने वाली दुनिया की पहली निजी कंपनी थी।