नई दिल्ली.वैसी दवा दुकानें हैं जिन्होंने फर्जी फार्मासिस्ट का नाम देकर दवा बेचने का लाइसेंस ले लिया है. दरअसल फार्मासिस्ट की डिग्री वाले को दवा दुकान चलाने का लाइसेंस मिल सकता है. लेकिन बिहार में बडे पैमाने पर फर्जी फार्मासिस्टों के नाम पर लाइसेंस लेकर दवा दुकानें चलायी जा रही हैं. बुधवार को बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को नागरिकों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार फार्मेसी काउंसिल और राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित करे कि अस्पताल और मेडिकल स्टोर सिर्फ रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट ही चलायें. सुप्रीम कोर्ट ने फार्मासिस्ट मुकेश कुमार की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं. बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर 2019 को इस जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया था. हाईकोर्ट में बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल की ओर से कहा गया था कि फर्जी फार्मासिस्टों के मामले में फैक्ट फाइडिंग कमेटी बनाकर जांच करायी गयी है और इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. सिर्फ इस आश्वासन पर हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को निष्पादित करार दिया था.