सुब्रमण्यन स्वामी ने इस ओर इशारा किया है। उनका कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को खत्म करने के लिए विधेयक लाने जा रही है। स्वामी ने कहा है कि उन्हें यह बात कुछ अधिकारियों से पता चली है। ध्यान रहे कि सुब्रमण्यन स्वामी ने खुद भी प्लेसज ऑफ वर्शिप एक्ट को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Places Of Worship Act) में चुनौती दे रखी है। उपासना स्थल कानून में 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों की जो प्रकृत्ति है, उन्हीं को कायम रखने का प्रावधान किया गया है।
इस कानून में अयोध्या के राम जन्मभूमि स्थल को अपवाद माना गया है।भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘मुझे अधिकारियों से पता चला है कि उपासना स्थल कानून हटाया जा रहा है। मोदी सरकार विधेयक लाकर इस कानून को खत्म करेगी। मेरे रिट पिटिशन (आज्ञापत्र) पर सुनवाई अब पूरी होने वाली थी। मैं यह केस जीत भी लेता- कम से कम कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए।पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 18 सितंबर, 1991 को संसद से पारित हुआ। यह कानून कहता है कि 15 अगस्त, 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थलों में नहीं बदला जा सकता है। यानी, उसका जो धार्मिक स्वरूप 15 अगस्त, 1947 को था, वही आगे भी रहेगा। इस कानून का विरोध करने वाले संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हैं। उनका कहना है कि पिछली तारीख से कानून लागू करना संवैधानिक नहीं हो सकता। दूसरी बात, भारत पर सदियों से अलग-अलग धर्म से संबंधित आक्रमणकारियों ने आक्रमण किए और यहां के मंदिरों को तोड़ा जो बर्बर और अत्याचारी प्रवृत्ति के द्योतक हैं। इतिहास में हुए अन्याय के लिए न्याय पाने का रास्ता भी बंद कर दिया जाए, ऐसा दुनिया में कहीं और उदाहरण देखने को नहीं मिलता है।