आपके कुल देवी देवता कौन है ? जानना नहीं चाहेंगे, किसने शुरू की थी यह परम्परा

धर्म:-हिन्दू समाज में कुलदेवियों एवं कुलदेवता का विशिष्ट स्थान है। प्रत्येक हिन्दू वंश व कुल में कुलदेवी अथवा कुलदेवता की पूजा की परंपरा रही है। यह परंपरा हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों द्वारा प्रारम्भ की गई थी।जिसका उद्देश्य वंश कुल की रक्षा के लिए सुरक्षा चक्र का निर्माण था, जो वंश को नकारात्मक शक्तियों से बचाकर उन्नति की ओर अग्रसर कर सके। वर्तमान में अधिकतर हिन्दू परिवारों में लोग अपनी कुलदेवी को भूल चुके हैं। जिसके कारण उनका सुरक्षा चक्र हट चुका है। अब उन तक विभिन्न बाधाएं बिना किसी रोक टोक के पहुँच रही हैं। परिणाम स्वरुप बहुत से परिवार परेशान है।भारतीय सभ्यता ने पाश्चात्य सभ्यता को इस हद तक अपना लिया है कि लोग अपने कुलदेव और कुलदेवी को ही भूलने लगे है। इसका मुख्य कारण अपने परिवार जन से लम्बे समय तक अलग रहना या विदेश में निवास स्थान बना लेना हो सकता है.यदि किसी परिवार के कुलदेव और कुलदेवी उन पर प्रसन्न नहीं होंगे तो उस परिवार में विवाह संबंधी समस्या, पुत्र संबंधी समस्या या ऊपरी बाधाएं अपना प्रभाव दिखा सकती है।

आज के समय में प्राय: देख जा रहा है कि लोगों को अपने कुलदेवता व कुलदेवी कौन हैं यह ज्ञात ही नहीं है। वर्षों से कुलदेवता व कुलदेवी को पूजा नहीं मिल रही है। घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर रही हैं, नकारात्मक ऊर्जाओं की आवाजाही बिना रोक-टोक हो रही है, वर्षों से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है कि हमारे कुलदेवता व कुल देवी कौन है कैसे उनकी पूजा होती है कब उनकी पूजा होती है आदि ।

यह ज्ञात करने के लिए एक प्रभावी प्रयोग है जिससे यह जाना जा सकता है कि आपके कुलदेवता कौन है यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं। प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें और ११ मंगलवार तक करते रहें। मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें।फिर एक साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुलदेवता व कुलदेवी मानकर स्नान आदि करवाकर, उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें।इसके बाद आप अपनी भाषा में उनसे अनुरोध करें कि “हे कुल देवी देवता मैं आपको जानना चाहता हूँ मेरे परिवार से आपका परिचय विस्मरण हो गया है हमारी गलतियों को क्षमा करते हुए हमें अपनी जानकारी दें इस हेतु में आपका यहाँ आह्वान करता हूँ, आप यहाँ स्थान ग्रहण करें और मेरी पूजा ग्रहण करते हुए अपने बारे में हमें बताएं इसके बाद उस सुपारी का पंचोपचार पूजन करें ।

क्या है पंचोपचार पद्धति

आपने पूजा की पंचोपचार पद्धति के बारे में सुना होगा। सर्वप्रथम इसमें पांच देवताओं का पूजन किया जाता है। श्री गणेश जी, शंकर भगवान , दुर्गा माता (भवानी, पार्वती) विष्णु भगवान एवं सूर्यदेव। इस पद्धति में किसी भी देवी-देवता का पूजन पांच प्रकार से किया जाता है। गन्धं पुष्पं तथा धूपं दीपं नैवेद्यमेव च। अखंडफलमासाद्य कैवल्यं लभते धु्रवम् ।।अर्थात् देव पूजन में गंध, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य इन पांच चीजों का प्रयोग किया जाता है।

अब रोज रात को उस सुपारी से प्रार्थना करें की हे कुल देवता व कुलदेवी में आपको जानना चाहता हूँ कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन दीजिये। फिर सुपारी को तकिये के नीचे रखकर सो जाइए।सुबह उठाकर पुनः उसे पूजा स्थान पर स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें।यह क्रम प्रथम मंगलवार से ११ मंगलवार तक निरंतर रखें। हर मंगलवार को व्रत रखें इस अवधि के दौरान शुद्धता पवित्रता व ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखें, यहाँ तक की बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें। ब्रह्मचर्य के साथ-साथ मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें।इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता व कुलदेवी जानकारी मिल जायेगी, अगर स्वयं न समझ सकें तो योग्य जानकार से स्वप्न विश्लेषण करवाकर जान सकते हैं।

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