संस्थागत देखभाल छोड़कर जाने वाले बच्चों के लिए प्रयास उनके 18 वर्ष होने के पश्चात नहीं बल्कि 14 वर्ष से ही प्रारंभ हो जानी चाहिए ताकि बच्चे जब 18 वर्ष के होने के कारण बालगृह को छोड़कर बाहर जाए तो आत्मनिर्भर बनने की राह पर हों। बच्चे के सर्वांगीण विकास के परिवार का कोई विकल्प नहीं अतः प्रयास होना चाहिए कि बाल देखभाल संस्थानों मे रहने वाले बच्चों को उचित शिक्षा दिया जाए और उन्हे परिवार से जल्द से जल्द जोड़ा जाए।
यह उद्गार आज दिनांक 20.12.2022 को होटल हॉलिडे होम में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग झारखंड सरकार और झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्थान द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से झारखण्ड राज्य आफ्टर केयर दिशा निर्देश तैयार करने हेतु आयोजित कंसल्टेशन का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि झारखंड राजपाल संरक्षण संस्था के निदेशक सह सदस्य सचिव राजेश्वरी बी ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा के केंद्र सरकार और राज्य सरकार की प्राथमिकता गैर संस्थागत देखभाल है, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें संस्थागत देखभाल की जरूरत होती है। राज्य के दिशानिर्देश में इन सभी का ध्यान रखा जाना चाहिए. साथ ही यह प्रयास होना चाहिए कि वर्तमान बाल देखभाल संस्थानों में मूलभूत सुधार हो, बच्चों को उचित शिक्षा मिले और आफ्टर केयर दिशानिदेश परिणाम आधारित हो।
कंसल्टेशन में यूनिसेफ के बाल सरंक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि देखभाल की जरूरत वाले बच्चों में उचित योग्यता का विकास कर और उन्हें सरकार के विभिन्न योजनाओं से जोड़कर आत्मनिर्भर और स्वतंत्र जीवन जीने योग्य बनाया जा सकता है। बाल गृह में से निकलने के बाद बच्चे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक बदलाव के दौर से गुजरते हैं अतः उन्हे सहयोग की जरूरत होती है। इसके लिए उन्होंने सरकार के विभिन्न विभागों के बीच तालमेल पर विशेष जोर दिया।राजस्थान के बाल संरक्षण विशेषज्ञ गोविंद बेनीवाल जी ने देश में आफ्टर केयर की यथास्थिति विभिन्न राज्यों के प्रयास के पर प्रकाश डालने के साथ-साथ झारखंड राज्य दिशा-निर्देश हेतु आवश्यक सुझाव दिया। कंसल्टेशन को रिनपास के डॉक्टर मनीषा, झालसा के उप सचिव मनीष मिश्रा, कौशल विकास मिशन के विनय कुमार और आजीविका मिशन के नुपुर ने भी आफ्टर केयर दिशानिर्देश के लिए आवश्यक सुझाव दिया।विभिन्न जिलों से आएं आफ्टर केयर के पात्र बच्चों ने भी अपने सुझाव दिए।कंसल्टेशन में झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था के पदाधिकारी, जिला बाल सरंक्ष संरक्षण पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, झालसा, आशा, मिराकल फाउंडेशन, बाल कुंज, रिनपास, जेएसएलपीएस, सिनी, बाल देखभाल गृह, राज्य के स्वयंसेवी संस्थाओं, बाल गृह के गृहपति, बाल गृहों में रहे 18 वर्ष से बड़े बच्चे, यूनिसेफ के परामर्शी, सेंटेर फॉर चाइल्ड राइट्स के पदाधिकारियों सहित 47 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
