नई दिल्ली.25 दिसंबर को हमारे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक आदर्श शिक्षक के परिवार में हुआ।1957 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से चुनकर लोकसभा पहुंचे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। आगे 47 वर्षों तक उन्होंने सांसद के रूप में देश की सेवा की। वह 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और 1975 में आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए।वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996, 1998 और 1999 में देश की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। पाकिस्तान से रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की और दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की। लेखक और कवि अटल को 1992 में पद्म विभूषण और 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में वह दुनिया को अलविदा कह गए।

अटल जी ने संसद में अपने भाषण में कहा था कि ‘सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, परंतु राष्ट्र शाश्वत है।’ यही सुशासन की आत्मा है कि देश की नीतियां एवं कार्यक्रम दूरदृष्टि के साथ राष्ट्रहित में और लोक कल्याण को समर्पित हों, न कि त्वरित चुनावी फायदे के लिए। हम 140 करोड़ भारतीयों में से जिसे भी जिस स्तर पर भी शासन संभालने की जिम्मेदारी मिले, और वह इन्हीं आदर्शों के साथ व्यवस्था चलाए, तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी अपने बारे में नहीं सोचा. वह सदैव देश के बारे में सोचते रहे. वह देश के जन-गण-मन को जीतते रहे. उन्होंने भारत की राजनीति में एक ऐसी लकीर खींची, जहां पहुंचना हर राजनेता का सपना होता है. बतौर प्रधानमंत्री गांव, गरीब और किसान तीनों ही अटल बिहारी वाजपेयी की प्राथमिकताओं में शामिल रहे.