IMF ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर आगाह किया है. आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टलीना जार्जीवा ने कहा कि इस साल एक-तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में होगी. अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन में नरमी की आशंका के बीच यह मंदी वर्ष 2022 के मुकाबले ज्यादा कठिन होगा.अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जार्जीवा ने समाचार चैनल सीबीएएस न्यूज के एक कार्यक्रम में रविवार को यह कहा. उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के 10 महीने बाद भी इसके समाप्त होने के कोई संकेत नहीं हैं.
इसके अलावा बढ़ती मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दर और चीन में कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ रहे हैं.वैश्विक संस्थान ने कहा, “वैश्विक वृद्धि दर के 2022 में 3.2 फीसदी और 2023 में घटकर 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 2021 में छह फीसदी पर था. वैश्विक वित्तीय संकट और कोविड-19 महामारी के समय को छोड़ दिया जाए तो यह 2001 के बाद वृद्धि का सबसे कमजोर रुख है.” जार्जीवा ने कहा, “अगले एक-दो महीने का समय चीन के लिये कठिन होगा और चीन में वृद्धि का क्षेत्रीय और वैश्विक वृद्धि पर नकारात्मक असर होगा.”उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के 10 महीने बाद भी इसके समाप्त होने के कोई संकेत नहीं हैं.
इसके अलावा बढ़ती महंगाई दर, उच्च ब्याज दर और चीन में कोरोनो वायरस संक्रमण बढ़ रहे हैं. जार्जीवा ने कहा, “हमारा अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक-तिहाई हिस्सा मंदी में होगा.” उन्होंने कहा, “वास्तव में वर्ष 2023 पिछले साल के मुकाबले कठिन होगा. इसका कारण अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन में नरमी की आशंका है.” आईएमएफ प्रमुख ने कहा, “यहां तक कि जिन देशों में मंदी नहीं भी है, वहां भी करोड़ों लोगों के लिये मंदी जैसी स्थिति होगी.” मुद्राकोष ने पिछले साल अक्टूबर में 2023 के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाया था.