हमीरपुर में पहली बार केले की खेती की तरफ किसानों ने कदम बढ़ाए है। इसकी शुरूआत रिटायर्ड बैंक मैनेजर ने तीन हेक्टेयर क्षेत्रफल में की है। कम लागत में केले की खेती से किसानों की न सिर्फ तकदीर बदलेगी बल्कि वह आत्मनिर्भर भी बनेंगे। एक बार लागत लगाने के बाद हर साल दो बार केले की फसल मिलेगी। केले की खेती को लेकर डिपार्टमेंंट ने भी विशेष स्कीम चलाई है।हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र के भरसवां गांव निवासी राजकुमार पांडेय आर्यावर्त बैंक में रीजनल मैनेजर रहे है। दो साल पहले ये चित्रकूट से रिटायर हुए थे। रिटायर होने के बाद इन्होंने अपने पैतृक गांव की खेतीबाड़ी को नए आयाम देने का प्लान तैयार किया।बताते है कि इनके पास करीब 500 बीघा जमीन है। इनके पिता का नाम गांव के बड़े काश्तकारों में प्रमुख था। उन्होंने बताया कि बैंक की नौकरी के बाद खेती किसानी में नया कुछ करने की इच्छा थी, इसीलिए 100 बीघे जमीन पर बागवानी और अन्य प्रजाति की उपज करने के लिए कदम बढ़ाए गए है। बताया कि पैतृक खेती में तीन हेक्टेयर में पहली बार केले की खेती शुरू की गई है। दो महीने पहले तीन हजार केले के पौधे तकनीकी सलाह पर लगाए गए है। अब ये पौधे काफी बड़े हो गए है।राजकुमार पांडेय ने बताया कि तीन हेक्टेयर जमीन पर केले के तीन हजार पौधे अच्छी प्रजाति के लगाने में करीब सत्तर हजार रुपये का खर्चा आया है। केले के खेत के चारों ओर सुरक्षा के भी प्रबंध किए गए है। बताया कि बड़ा तालाब खुदवाकर दस वाट का सोलर पंप प्लांट भी खेत में लगवाया गया है। बताया कि एमपी जी प्रजाति के केले की खेती से सालाना दो बार फसल मिलेगी। एक पेड़ पर बीस किलो केले का उत्पादन होगा। वहीं तीन हजार पेड़ों से 75 टन तक केले का लगातार 5 सालों तक उत्पादन होगा, जबकि लागत सिर्फ एक बार ही आएगी।