उत्तर प्रदेश में गाय और मवेशियों को बेहतर आश्रय प्रदान करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार टीपीपी मॉडल पर बने गौ आश्रयों को शुरू करने की योजना बना रही है. साथ ही राज्य सरकार गाय आश्रयों को अपनी आय उत्पन्न करने के लिए आत्मनिर्भर बनाएगी. फसल की बर्बादी और यहां तक कि बड़ी दुर्घटनाएं झेल रहे किसानों के लिए मवेशियों के रहने का मुद्दा अब भाजपा सरकार की प्राथमिकता बन गया है. यूपी चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इसे बायो फार्मिंग से जोड़कर समस्या के स्थायी समाधान की बात कही थी.हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार 20वीं पशुधन गणना से पता चलता है कि देश में 50.21 लाख आवारा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं. इनमें राजस्थान में सबसे अधिक 12.72 लाख और उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख मवेशी सड़कों पर आवारा हैं. देश भर में आवारा पशुओं को पालने की वार्षिक लागत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक है. मवेशियों की हत्या पर प्रतिबंध और गौरक्षकों के डर से आवारा पशुओं की समस्या तेजी से बढ़ी है और यूपी में दूध न देने वाले पशुओं को पालना किसानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है.6 अगस्त, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहायता योजना’ को मंजूरी दी थी. जिसके तहत आवारा पशुओं को रखने वाले लोगों को राज्य सरकार प्रतिदिन 30 रुपये देती है. राज्य सरकार ने इस योजना पर करीब 109.5 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया था. इंडियास्पेंड में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 25 सितंबर, 2021 तक 53,522 लोगों को 98,205 मवेशी दिए जा चुके हैं. हालांकि अगर इसकी तुलना उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या से करें तो यह बहुत कम है. यानी सरकार को अभी इस पर और काम करने की जरूरत है.