13 साल की एक बच्ची का जानलेवा ल्यूकेमिया का सफल इलाज हुआ है। उसे पहली बार जीन-एडिटिंग ट्रीटमेंट दिया गया। तमाम पारंपरिक तरीकों के फेल होने के बाद परिवार ने क्लीनिकल ट्रायल में जाने का फैसला किया था। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची पर इस प्रोसीजर के शानदार नतीजे आए हैं।
13 साल की यह बच्ची जिंदगी-मौत से जूझ रही थी। ल्यूकेमिया का पता लगने के एक साल बाद मई 2022 में बच्ची को बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) यूनिट में भर्ती कराया गया। वह पहली पेशंट बनी जिसे बेस-एडिटेड CAR T-cells प्राप्त हुए। ये कोशिकाएं हेल्थी डोनर से मिलती हैं। इस प्रोसीजर के एक महीने बाद ही किशोर बच्ची में बेहतरी दिखने लगी। उसके इम्यून सिस्टम को रीस्टोर करने के लिए दूसरा बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया। दिसंबर में उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। अब वह घर पर रिकवर हो रही है। उसे करीब से मॉनिटर किया जा रहा है।