केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगे प्रतिबंध को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने कहा कि सिमी देश में इस्लामी सत्ता की स्थापना चाहता है। इस तरह के उद्देश्य को भारत के लोकतांत्रिक संप्रभु ढांचे के साथ सीधे संघर्ष के रूप में देखा जाना चाहिए। केंद्र ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष समाज में इसकी अनुमति नहीं दी सकती।शपथपत्र में केंद्र ने बताया कि 25 अप्रैल 1977 को अस्तित्व में आए सिमी के जेहाद (मजहबी जंग), राष्ट्रवाद का विनाश और इस्लामी शासन या खिलाफत की स्थापना के उद्देश्य थे।
केंद्र ने कहा, संगठन राष्ट्र या भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति सहित विश्वास नहीं करता। संगठन मूर्तिपूजा को पाप के रूप में मानता है, इसे समाप्त करने को अपना कर्तव्य मानता है और उसका प्रचार करता है। सिमी का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर से संचालित विभिन्न चरमपंथी इस्लामी आतंकवादी संगठनों ने किया था। साथ ही, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन अपने देश विरोधी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिमी कैडरों में पैठ करने में सफल रहे हैं।