ग्रीन बेल्ट में अवैध खनन को हरी झंडी देने की कर दी अनुशंसा
केंद्र सरकार से तथ्यों और सबूतों को छुपा बनाई फर्जी रिपोर्ट
पूर्व के सीनियर अधिकारियों की रिपोर्ट और अवैध माईनिंग की बात छुपा कर डीएफओ आर एन मिश्रा ने केंद्र को गलत रिपोर्ट दिया
ग्रीन बेल्ट में अवैध खनन जारी रहा तो एक बड़ा क्षेत्र हो जाएगा बंजर
हज़ारीबाग़ – भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के महाघोटाला शर्तों का उल्लंघन कर सौ एकड़ में अवैध खनन के मामले में डीएफओ आर एन मिश्रा द्वारा एनटीपीसी और त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड के दोषी अफसरों को बचाने के लिए दो रिपोर्ट बनाने के खुलासे के बाद एक बेहद चौकाने वाला मामला सामने आया है। आईएफएस अधिकारी आर एन मिश्रा ने दो साल पहले अपने सीनियर अधिकारी आरसीसीएफ के रिपोर्ट को दरकिनार कर तथ्यों और सबूतों को छुपाकर एनटीपीसी के पक्ष में केंद्र सरकार को शर्तों में संशोधन का अनुशंसा कर दी है।
आरसीसीएफ ने दो साल पहले खनन कर दिए जाने के बाद मंतव्य दिए जाने का कोई औचित्य नही बताया था,दुमुहानी-पकवा नाला को बताया था जरूरी
एनटीपीसी ने फॉरेस्ट क्लियरेंस की उस शर्तों में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दिया था,जिसमें उसे दुमुहानी नाला और पकवा नाला के दोनों ओर 50 मीटर का ग्रीन बेल्ट बनाने को कहा गया था। इस बावत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से मंतव्य मांगा था। वर्ष 2020 में तत्कालीन आसीसीएफ ने पीसीसीएफ को भेजे रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा था कि ” पानी की उपलब्धता बनी रहने,नदियों का प्रवाह बने रहने,आस-पास रहने वाले जीव जंतुओं एवं प्राणियों को पानी मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि दुमुहानी नाला,पकवा नाला और खोर्रा नाला के किनारे भी 50 मीटर का ग्रीन बेल्ट बनाया जाए “ इसके आगे उन्होंने एनटीपीसी के शर्त संशोधन के आवेदन के आलोक में मांगे गए मंतव्य के बावत कहा कि चूंकि प्रयोक्ता अभिकरण (एनटीपीसी) द्वारा दोनों नालों के ग्रीन बेल्ट वाले वन भूमि में खनन कर दिया गया इस लिए अब मंतव्य देने का कोई औचित्य नही रह गया है। अब यह भारत के शर्तों का उल्लंघन का मामला है। साथ ही यह निर्देश दिया गया था कि जब तक भारत सरकार के द्वारा शर्तों में परिवर्तन नही किया जाता है तब तक भारत सरकार वर्तमान शर्तों का अनुपालन किए जाने का निर्देश वन संरक्षक को दिया गया था।
डीएफओ ने आरसीसीएफ के रिपोर्ट को दरकिनार कर केंद्र को मंतव्य भेज दिया
आरसीसीएफ द्वारा वर्ष 2020 में ही एनटीपीसी (त्रिवेणी-सैनिक) द्वारा ग्रीन बेल्ट एरिया में खनन कर दिए जाने के कारण शर्तो में संशोधन के मंतव्य देने का कोई औचित्य नही रहने और शर्तों का उल्लंघन करने का मामला बताया था । इसके अलावे पकवा नाला,दुमुहानी
नाला और खोर्रा नाला को आवश्यक बताते हुए 50 मीटर ग्रीन बेल्ट लगाने का उल्लेख किया था। दो रैंक सीनियर अधिकारी की रिपोर्ट को दरकिनार कर डीएफओ आर एन मिश्रा ने एनटीपीसी के पक्ष में शर्त संशोधन किए जाए का मंतव्य देते हुए अनुमोदन कर दिया। डीएफओ ने अपने मंतव्य में इस बात को भी छुपा दिया कि शर्त में परिवर्तन के पहले ही एनटीपीसी ने खनन कर दिया है। जबकि उसी माह डीएफओ ने एनटीपीसी पर एनपीभी के तहत पांच गुणा जुर्माना और पौध रोपण करवाने का अनुशंषा किया था।
..तो क्या आर एन मिश्रा के कार्यकाल में दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध खनन किया गया ?
आरसीसीएफ और डीएफओ की रिपोर्ट का अध्ययन किया जाए तो स्पष्ट करता है कि डीएफओ आर एन मिश्रा के कार्यकाल में दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध खनन किया गया है और वही डीएफओ एनटीपीसी के पक्ष में रिपोर्ट बनाते हैं जिनके कार्यकाल में दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध खनन किया गया है। जिसकी पुष्टि ऐसे होती कि वर्ष 2020 में आसीसीएफ की रिपोर्ट में दुमुहानी नाला के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाने वाले एरिया में अवैध खनन होने का जिक्र किया था और प्रशिक्षु आईएफएस तथा एसीएफ द्वारा मार्च 2022 की रिपोर्ट में दुमुहानी नाला के प्रवाह को अवरुद्ध कर तीन किलोमीटर एरिया में अवैध खनन की बात कही गई है। इन दोनों रिपोर्ट के बीच के समय मे आर एन मिश्रा ही पश्चिमी वन प्रमंडल हज़ारीबाग़ में पदस्थापित थे।