ग्रंथों में एकादशी और पूर्णिमा के व्रत को सर्वोच्च बताते हुए इनकी अनन्य महिमा कही गई है। हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां (12 कृष्ण पक्ष एवं 12 शुक्ल पक्ष में) आती हैं। ये सभी किस माह में आती हैं, इस आधार पर अलग-अलग नाम दिए गए हैं। माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को जया एकादशी की संज्ञा दी गई है।सनातन धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही उत्तम माना गया है। इस व्रत का पालन करने से प्राणी के सभी कष्ट दूर होते हैं,भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। इनमें जया एकादशी प्राणी के इस जन्म एवं पूर्व जन्म के समस्त पापों का नाश करने वाली उत्तम तिथि है। इतना ही नहीं,यह ब्रह्मह्त्या जैसे जघन्य पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करने वाली है । श्री विष्णु को प्रिय इस एकादशी का भक्तिपूर्वक व्रत करने से मनुष्य को कभी भी पिशाच या प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। पदमपुराण में इस एकादशी के लिए कहा गया है कि जिसने ‘जया एकादशी ‘ का व्रत किया है उसने सब प्रकार के दान दे दिए और सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया। इस व्रत को करने से व्रती को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।एकादशी तिथि 31 जनवरी को 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी को रखा जाएगा।