अबुधाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने बीते सोमवार अदानी समूह में 3260 करोड़ रुपये का निवेश करने का एलान किया है।
हिंदू बिज़नेस लाइन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि मंगलवार को अदानी समूह के एफ़पीओ में दुबई और भारत स्थित कुछ फ़ैमिली ऑफ़िसों से 9000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा सकता है।
ये कंपनी अदानी समूह की ओर से लाए गए बीस हज़ार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र में निवेश करने जा रही है। सोमवार को बाज़ार बंद होने तक इस एफ़पीओ के सिर्फ़ तीन फ़ीसद हिस्से को ख़रीदा गया था। लेकिन इसके बाद अबुधाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने अदानी समूह में निवेश करने की घोषणा कर दी है। इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सयैद बसर शुएब ने कहा है, ‘अदानी समूह में हमारी रुचि की वजह अदानी एंटरप्राइज़ेज की आर्थिक सेहत को लेकर हमारा विश्वास है। हम मानते हैं कि इस कंपनी में लंबे समय तक निवेश करने पर बढ़त होने की अच्छी संभावनाएं हैं। ‘
इस कंपनी ने अदानी समूह में एक ऐसे समय में निवेश करने का फ़ैसला किया है जब वह चारों ओर से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले तीन बिज़नेस डेज़ यानी 25, 27 और 30 जनवरी को हुई ट्रेडिंग में अदानी समूह की बाज़ार पूंजी में 29 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गयी है।
इसकी क़ीमत भारतीय मुद्रा में लगभग 5. 6 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है। कंपनी की ओर से लगातार इस मामले में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने की कोशिशें की जा रही हैं।
अदानी समूह ने इसी दिशा में रविवार की शाम 413 पन्नों का जवाब दिया था जिसमें उसने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत के ख़िलाफ़ हमला करार दिया था।
हालांकि, इसके बाद सोमवार को अदानी समूहों के शेयर में कम गिरावट दर्ज की गयी और उसकी बाज़ार पूंजी में 1. 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया।
लेकिन अबुधाबी की आईएचसी कंपनी की ओर से निवेश के एलान के बाद कुछ अन्य फ़ैमिली हाउसेज़ की ओर से भी अदानी समूह में निवेश करने की घोषणा की गयी है।
फ़ैमिली ऑफ़िस से आशय उन फ़र्मों से है जो बेहद अमीर लोगों को उनकी संपत्ति को संभालने में मदद करती हैं।
इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी की अपार सफ़लता की वजह एक अबूझ पहेली सी है। दुनिया के दूसरे देशों में जहां इस कंपनी की आर्थिक सफ़लता को लेकर कम जानकारियां उपलब्ध हैं।
वहीं, अबुधाबी के आर्थिक जगत से जुड़े लोगों के पास भी इस कंपनी की प्रगति को लेकर ज़्यादा जानकारी नहीं है।
फ़ाइनेंशियल टाइम्स के साथ बातचीत में खाड़ी देशों में काम करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय बैंकर ने कहा है कि किसी को नहीं पता है कि ये कंपनी इतनी तेज़ी से कैसे बढ़ी।
साल 2019 में इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सयैद बसर शुएब भी इस कंपनी की प्रगति को शानदार बताते हैं।
वे कहते हैं, “हम किसी तरह का लाभांश नहीं देते। साल 2020 और 2021 में जो लाभ अर्जित किया गया है, उसे वापस निवेशित कर दिया है। हम यहां एक विशाल कंपनी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक वैश्विक विशालकाय कंपनी। “
हालांकि, कुछ लोग इस कंपनी को संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबुधाबी में व्यापार और सत्ता के बीच धुंधली होती रेखा के रूप में देखते हैं।
कुछ जानकारों का मानना है कि कंपनी की बाज़ार पूंजी में ताबड़तोड़ बढ़त से जुड़ी चिंताओं का आलम ये है कि दुबई के अधिकारियों ने एडीएक्स के साथ अपने स्टॉक मार्केट को जोड़ने की संभावनाओं से किनारा करना शुरू कर दिया है।