साल 1973 में भारत में पहली और आखिरी बार ब्लैक बजट (Black Budget) पेश किया गया था। तब केंद्र में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की सरकार थी। पाकिस्तान से युद्ध कर बांग्लादेश को अलग करने बाद इंदिरा गांधी 1971 में एक बार फिर प्रधानमंत्री चुनी गयी थीं। युद्ध से देश की आर्थिक हालत खराब थी।1972 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) आधा प्रतिशत के करीब रह गया था। अर्थव्यवस्था के चरमराने में युद्ध के अलावा मानसून (Monsoon) का भी हाथ था। बारिश कम होने की वजह से फसलों को भारी नुकसान हुआ था। सरकार की कमाई कम हो गयी थी और खर्च बढ़ गया था।1973 में पेश किए गए ब्लैक बजट में सरकार ने सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण की घोषणा की थी और इसके लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. सरकार ने ब्लैक बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था.ये भी हैं बजट के प्रकारबता दें कि आम बजट, अंतरिम बजट और ब्लैक बजट के अलावा भी बजट के कुछ और प्रकार हैं. सबसे प्रमुख होता है आम बजट. आमतौर पर देश में यही पेश किया जाता है. इसे संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत पेश किया जाता है. वहीं, अंतरिम बजट को अनुच्छेद 116 के तहत पेश करते हैं. अंतरिम बजट आम चुनाव वाले वर्षों में पेश किया जाता है. आखिरी बार वर्ष 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया था. अब अगले साल 2024 में भी अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. अंतरिम बजट में सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं लेती है और न ही कोई नया टैक्स लगाती है. बजट के यही दो प्रकार सबसे प्रचलित हैं. ब्लैक बजट के बारे में हमने आपको ऊपर विस्तार से बताया. इनके अलावा निष्पादन बजट और शून्य आधारित बजट भी होता है.