रांची के बाबा कम्प्यूटर को मिल रहा है मंत्री बन्ना गुप्ता और स्वास्थ्य सचिव से मधुर संबंध का लाभ

क्या स्वास्थ्य विभाग में चहेते एजेंसी को काम देने के लिए हो रहा है नियमों का खुला उल्लघंन, यबफिर मंत्री और एजेंसी में हो चुकी है गुप्त डील ?

रंजीत कुमार

वैसे तो बन्ना गुप्ता के विभाग में गड़बड़ियों का मामला आम है। उनके विभाग में भी कई गड़बड़ी की बात सामने आती ही रहती है। ताजा मामला 104 हेल्पलाइन सेवाओं को लेकर है।

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जनमानस को चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराने के लिए 104 हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई थी। हेल्थ कॉल सेंटर 104 का लाभ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी लाभ मिल रहा था। लेकिन ऐसा लगता है नई एजेंसी के चयन में पारदर्शिता को ध्यान में नही रखा जा रहा है।

चयन प्रक्रिया में शामिल बाबा कंप्यूटर्स के प्रोपराइटर रितेश गुप्ता के मंत्री बन्ना गुप्ता के मधुर संबंध है। साथ ही स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह के बाबा कंप्यूटर्स से निकटता का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि अरुण कुमार सिंह जिस विभाग में रहे बाबा कंप्यूटर्स का उस विभाग में दबदबा रहा है। इस से पहले भी राज्य के कई अधिकारी बिचौलियों से निकटता के कारण ईडी के रडार पर है। विभागीय सचिव की रितेश गुप्ता से निकटता की जांच की जाए तब कई चौकाने वाले खुलासे हो सकते है।

चयन प्रक्रिया में शामिल दो और एजेंसी रितिका प्रिंटेक प्राइवेट लिमिटेड और पिरामल स्वास्थ्य मैनेजमेंट और रिसर्च सेंटर ने पत्र लिख कर विभाग का ध्यान इस और आकृष्ट कराया है कि बाबा कंप्यूटर्स जरूरी अहर्ता पूरी नहीं करता। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बाबा कंप्यूटर्स को मंत्री बन्ना और सचिव अरुण सिंह का वरदहस्त प्राप्त है। खबर है कि एनएचएम की फाइलों पर मंत्री जी का सीधी हस्तक्षेप है। जबकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नही है। खबर यह भी है कि वे खुद अधिकारियों को निर्देशित करते है। विभाग के पक्षपात पूर्ण रवैए को देखते हुए दोनो एजेंसी न्यायालय का रुख करने का मन बना चुकी है। अपने चहेते एजेंसी को काम देने के लिए टेंडर की अवधि को फिलहाल 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। साथ ही पत्र में कमिटी के उन अधिकारियों के हस्ताक्षर का होना जिनकी पदस्थापना अन्यत्र हो चुकी है या जो अपना पद त्याग चुके है अपने आप में एक बड़ा सवाल पैदा कर रहा है।

स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बेहद ही पिछड़ा राज्य झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री अगर अपने दायित्वों को भूल चुके है। अब वो अपने प्रियजनों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। यह बेहद शर्मनाक और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली बात है।

इस मामले की गहन जांच होने की आवश्यकता है।

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