बिहार की नीतीश सरकार को पटना हाई कोर्ट का बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी चन्द्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।
नीतीश सरकार लंबे समय से जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में रही है। हालांकि, केंद्र इसके खिलाफ रही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र का कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है।
हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं
नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
केंद्र क्यों नहीं चाहती जातिगत जनगणना?
केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के समर्थन में नहीं है। पिछली साल फरवरी में लोकसभा में जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया गया था। इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि संविधान के मुताबिक, सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की ही जनगणना हो सकती है।
इसके अलावा दूसरी वजह ये भी मानी जाती है कि जातिगत जनगणना से देश में 1990 जैसे हालात बन सकते हैं। फिर से मंडल आयोग जैसे किसी आयोग को गठन करने की मांग हो सकती है। इसके अलावा आरक्षण की व्यवस्था में भी फेरबदल होने की संभावना है।