टीबी के लक्षण दिखें तो छिपायें नहीं, तुरत अस्पताल जाएं

 
डगरुआ स्वास्थ्य केंद्र में एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर में उमड़ी भीड़:
स्वास्थ्य जांच में 20 में मिले टीबी के लक्षण: पूजा कुमारी
दवा सेवन के दौरान किसी तरह का नशा नहीं करें: डॉ फ़रत जबीं
घनी आबादी वाले इलाकों में जागरूकता की अधिक आवश्यकता: विजय

पूर्णिया, 28 सितंबर।
ज़िले  के डगरुआ स्वास्थ्य केंद्र परिसर में स्वास्थ्य विभाग, यक्ष्मा विभाग एवं कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। इसमें ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अविनाश कुमार ने बताया कि सैकड़ों की संख्या आए ग्रामीणों को चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फ़रत जबीं के द्वारा स्क्रीनिंग किया गया। जांच लैब टेक्नीशियन के द्वारा किया गया। टीबी बीमारी को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है। टीबी संक्रमण की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा बिल्कुल निःशुल्क है। पौष्टिक आहार खाने के लिए टीबी मरीज को निक्षय योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। किसी भी व्यक्ति को टीबी के लक्षण दिखे तो घबराने की आवश्यकता नहीं हैं। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। अगर दो सप्ताह तक लगातार खांसी हो या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

दवा सेवन के दौरान नशा का सेवन पूर्ण रूप से बंद होना चाहिए: डॉ फ़रत जबीं
स्थानीय चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फ़रत जबीं ने कहा कि अगर आप टीबी बीमारी से संक्रमित हो या किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित हो, दवा का सेवन बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। इससे बीमारी कम नहीं होती बल्कि और ख़तरा बढ़ जाता है। इसीलिए नियमित रूप से दवा का सेवन करें। टीबी की दवा आमतौर पर छः महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसीलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है। तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। इस दौरान किसी प्रकार का नशा का सेवन नहीं करना चाहिए।

सैकड़ों ग्रामीणों के स्वास्थ्य जांच में 20 में पाए गए टीबी के लक्षण: पूजा कुमारी
स्थानीय एसटीएस पूजा कुमारी ने बताया कि 20 महिला व पुरुषो में टीबी के लक्षण पाए गए हैं। जिनका बलग़म जांच के लिए लिया गया है। अगर संक्रमित पाए जाते हैं तो उनका इलाज़ कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि सीएचओ, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाओं, जीविका दीदी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर विभिन्न प्रकार के गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाता है। टीबी मरीजों का समुचित ध्यान रखने के लिए क्षेत्र भ्रमण कर संक्रमित मरीजों को दवा सेवन, उनके खानपान, रहन सहन एवं सोने के तरीकों, मास्क के उपयोग सहित कई अन्य प्रकार की दिनचर्या से संबंधित जानकारी दी जाती है। मरीजों को नियमित रूप से दवा का सेवन करने की सलाह देने के साथ ही पौष्टिक आहार खाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

घनी आबादी वाले इलाकों में अधिक जागरूकता की आवश्यकता: विजय शंकर दूबे
कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के जिला प्रमुख विजय शंकर दूबे ने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। इसीलिए घनी आबादी वाले इलाके में स्वास्थ्य विभाग के साथ सामंजस्य स्थापित कर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ग्रामीणों को टीबी संक्रमण से बचाव एवं सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है। टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इस अवसर पर एमओआईसी डॉ अविनाश कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फ़रत जबीं, बीएचएम शिवेन्द्र कुमार, बीसीएम प्रियंका कुमारी, एसटीएस पूजा कुमारी, लेखापाल सूरज कुमार, एलटी जय प्रकाश प्रसाद, कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के जिला प्रमुख विजय शंकर दूबे, प्रखंड समन्वयक राम निखार दूबे सहित टीबी चैंपियन शामिल हुए।

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