सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर अहम फैसला देते हुए इसे सही ठहराया है। हालांकि, संविधान पीठ की पांच सदस्यीय बेंच में एक जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसे अवैध करार दिया है।जस्टिस बीवी नागरत्ना को कर्नाटक हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2021 में पदोन्नत किया गया। 30 अक्टूबर 1962 को जन्मी नागरत्ना ने अपना करियर 1989 में शुरू किया जब कर्नाटक बार काउंसिल में दाखिला लिया। वह संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक कानून, वाणिज्यिक कानून और प्रशासनिक कानून का विशेषज्ञ मानी जाती हैं। फरवरी 2008 में बीवी नागरत्ना को कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके दो साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया।जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होने की कतार में हैं। वह सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला सीजेआई होंगी। यह मौका उनको 2027 में मिलेगा। जस्टिस नागरत्ना के पिता ईएस वेंकटरमैया भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। जस्टिस ईएस वेंकटरमैया, साल 1989 में छह महीना के लिए सीजेआई रहे थे।अगले वर्ष के नवंबर में, बी वी नागरत्ना तब सुर्खियां बटोरीं, जब उन्हें और कर्नाटक उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों को विरोध करने वाले वकीलों के एक समूह ने एक कमरे में बंद कर दिया था। बाद में उन्होंने यह कहा कि हम नाराज नहीं हैं, लेकिन दुखी हैं कि बार ने हमारे साथ ऐसा किया है। हमें अपना सिर शर्म से झुकाना होगा।