उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसाव का खतरा लगातार बढ़ रहा है। शनिवार को जोशीमठ के 22 और भवनों में दरारें आ गईं। इस तरह ऐसे भवनों की संख्या अब 782 हो गई है।जोशीमठ में जमीन धंसाव को लेकर एक और डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है। ग्राउंड सर्वे के मुताबिक, कुछ हिस्सों में 2.2 फीट यानी 70 सेमी तक जमीन धंसाव हुआ है। कुछ दिन पहले इसरो ने अपनी रिपोर्ट में सात महीनों के भीतर 9 सेमी जमीन धंसाव की बात कही थी। इसरो के मुकाबले ग्राउंड सर्वे की यह रिपोर्ट ज्यादा डराने वाली है।एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ के सतह की जांच चल रही है. पता चला है कि जेपी कॉलोनी के आसपास के इलाकों में 70 सेमी तक धंसाव हुआ है.उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद प्रशासन ने सैकड़ों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. जो मकान असुरक्षित जोन में हैं, उन्हें तोड़ने की कवायद तेज है. इस बीच,अधिकारियों की एक टीम की जांच रिपोर्ट ने यहां रहने वाले लोगों को चिंता में डाल दिया है. अधिकारियों को पता चला है कि जोशीमठ के कुछ हिस्से 2.2 फीट यानी 70 सेंटीमीटर तक धंस चुके हैं.टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ के सतह की जांच चल रही है. पता चला है कि जेपी कॉलोनी में बैडमिंटन कोर्ट के आसपास के इलाकों में 70 सेमी तक धंसाव हुआ है. वहीं, मनोहर बाग में भी सात से 10 सेमी तक जमीन धंसी है. अधिकारियों की टीम अब भी अलग-अलग इलाके में जाकर सर्वे कर रही है.इसरो की रिपोर्ट ने बढ़ा दी थी चिंताएंबता दें कि हाल ही में इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के प्राइमरी स्टडी में कहा गया है कि अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में भू-धंसाव की प्रक्रिया धीमी थी, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंसा था. हालांकि 27 दिसंबर, 2022 और आठ जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में तेजी हुई और शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया. ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस उपग्रह से ली गई थीं. हालांकि, यह रिपोर्ट अब इसरो की वेबसाइट से गायब हो गई है.