बागेश्वर सरकार नागपुर में कथा छोड़कर भाग जाने और अंधविश्वास का आरोप लगाया था. जिसके बाद से उन्हें सफाई देनी पड़ रही है.
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा ये कहना बंद होना चाहिए कि विश्वास और अंधविश्वास क्या है. उन्होंने कहा कि भारत में चादर चढ़ाना श्रद्धा है लेकिन अर्जी का नारियल बांधना अंधविश्वास है. भारत में कैंडल जलाना श्रद्धा है लेकिन बागेश्वर धाम की अर्जी लगाना अंधविश्वास है.
बागेश्वर धाम इतिहास
छतरपुर के पास एक जगह है गढ़ा। यहीं पर बागेश्वर धाम है। यहां बालाजी हनुमान जी का मंदिर है। हर मंगलवार को बालाजी हनुमान जी के दर्शन को भारी भीड़ उमड़ती है। धीरे-धीरे इस दरबार को लोग बागेश्वर धाम सरकार के नाम से पुकारने लगे। ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है।
1986 में इस मंदिर का रेनोवेशन कराया गया था। 1987 के आसपास यहां एक संत बब्बा जी सेतु लाल जी महाराज आए। इनको भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता था। धाम के मौजूदा प्रमुख पं. धीरेंद्र शास्त्री भगवान दास जी महाराज के ही पौत्र हैं।
इसके बाद 1989 के समय बाबा जी द्वारा बागेश्वर धाम में एक विशाल महायज्ञ का आयोजन किया गया। 2012 में बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्याओं के निवारण के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे बागेश्वर धाम के भक्त इस दरबार से जुड़ने लगे। दावा होता है कि यहां आने वाले लोगों की समस्याओं का निवारण किया जाता है।
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि दिव्य दरबार में जो हम बताते हैं वह ध्यान विधि के जरिए करते हैं. हमारे पूज्य गुरुदेव ने हमें इस विद्या को दिया है. ईश्वर की कृपा से हम यह कर पाते हैं.