आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती है।2021 से उनकी जयंती 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है.सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है।नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्बूर 1943 को वो कारनामा कर दिखाया, जिसे अब तक किसी ने करने के बारे में सोचा तक नहीं था. उन्होंने आजादी से पहले ही सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की. नेताजी ने इस सरकार के जरिए अंग्रेजों को साफ कर दिया कि अब भारत में उनकी सरकार का कोई अस्तित्व नहीं है और भारतवासी अपनी सरकार चलाने में पूरी तरह से सक्षम हैं.
आजाद हिंद सरकार के बनने से आजादी की लड़ाई में एक नए जोश का संचार हुआ. करीब 8 दशक पहले 21 अक्टूबर 1943 को देश से बाहर अविभाजित भारत की पहली सरकार बनी थी. उस सरकार का नाम था आजाद हिंद सरकार. अंग्रेजी हुकूमत को नकारते हुए ये अखंड भारत की सरकार थी. 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के कैथे भवन में हुए समारोह में रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान सुभाष चंद्र बोस के हाथों में सौंप दी. इसके बाद 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना हुई. आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आज़ाद हिंद सरकार ने हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई थीं. इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था. नेताजी ने देश के बाहर रहकर, सीमित संसाधनों के साथ, शक्तिशाली साम्राज्य के खिलाफ व्यापक तंत्र विकसित किया. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने बैंक और स्वाधीन भारत के लिए अपनी मुद्रा के निर्माण के आदेश दिए. आजाद हिंद सरकार की अपनी बैंक थी, जिसका नाम आजाद हिंद बैंक था. आजाद हिंद बैंक ने दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये का नोट जारी किया था.