राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सभी बालिकाओं को समर्पित स्वरचित कविता।

अपनी हिम्मत, अपनी उड़ानभर लो पूरी हिम्मत मन मे, भर लोगी उड़ान आसमान में।अपनी हिम्मत, अपनी ताकत,अपनी सारी चाहत है।भर लो उड़ान खुले आसमान मे, रोक ले किसकी हिम्मत है?ताकत अपनी बनाना है,आजादी से जीना है।पर इस ताकत को पाने को तुम्हें जरूर पढ़ना है।खुद पढ़ना, औरों को पढ़ाना, एक दूसरे को गले लगाना।पढना जरूर पढ़ना, पर सिर्फ अक्षर पहचान के लिए नहीं।कागज वाली डिग्री के लिए नहीं।पढ़ना खुद को झकझोरने कोसोये लोगों को जगाने को,वहमों को मिटाने को।झूठी मान्यताओं को बदलने को, लैंगिक भेद भाव मिटाने को।जुल्मों का प्रतिकार करने को,सहना छोड़ कहने को।अपनी सेहत का ख्याल भी रखनाकर्तव्य करना पर ,अधिकारों को भी समझना।जुल्म न सहना, जुल्म न करना, हिंसा के खिलाफ सदा ही लड़ना।सच को सच कहने की हिम्मत रखना, पीड़ितों को राह दिखाना।कला कौशल भी खूब तू सीखना, स्वावलंबन की राह अपनाना।खुद को कभी कमजोर न समझनातुम भी इंसान हो,यह मत भूलना।औरों को खुश रखने मे अपनी खुशियां भूल न जाना।ये सारे हैं हिम्मत तेरे,ये ही है ताकत तेरे।इन ताकत को साथ तू कर ले, खुले आसमान मे उड़ान तू भर ले।

राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सभी बालिकाओं को समर्पित स्वरचित कविता। डॉक्टर सविता बनर्जी।

Exit mobile version