राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ(आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिएकेवल दिमाग से काम नहीं चलेगा क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही आरएसएस का कार्य है। उन्होंने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र है क्योंकि इस देश को बनाने वाले भी हिंदू है।बिड़ला ऑडिटोरियम में बुधवार को दीनदयाल स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया. आरएसएस कल, आज और कल विषय पर व्याख्यान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होस्बाले ने कहा कि संघ अंधों के बीच हाथी जैसा है, जिसको जितना समझ में आए उतना ही संघ लगता है. संघमें प्रवेश करने वाले कुछ समय बाद लगता है कि संघ उस में प्रवेश कर गया. भौतिक रूप से भले ही उसे संघ में प्रवेश करने के बाद कुछ नहीं पाया लेकिन जीवन में कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर महसूस होता है. यही कारण है कि संघ देश दुनिया में प्रभावी संगठन है.भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू होस्बाले ने कहा कि यह हिन्दू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले भी हिन्दू हैं. कुछ लोग कहते हैं कि वेद पुराण में हिन्दू नहीं है, लेकिन वेद पुराण में ऐसा भी नहीं कि इन्हें स्वीकार नहीं किया जाए. सत्य और उपयोगी बातों को स्वीकार करना चाहिए. डॉ. हेडगेवार इस व्याख्या में नहीं पड़े कि हिन्दू कौन हैं ? भारत भूमि को पितृ भूमि मानने वाले हिन्दू हैं. जिनके पूर्वज हिन्दू हैं, वे हिन्दू हैं. जो स्वयं को हिन्दू माने वो हिन्दू हैं. हम जिन्हें हिन्दू कहते हैं वह हिन्दू हैं. उन्होंने कहा कि आज संघ राष्ट्र जीवन के प्रमुख संगठन के नाते उभरा है.होस्बाले ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने 1940 में संघ शिक्षा वर्ग में कहा था कि बाबा साहब अम्बेडकर भी एक शिविर में आए थे. तब बाबा साहब ने पूछा था कि अस्पृश्य और स्पृश्य कौन हैं ? तब हेडगेवार ने कहा हम सभी हिन्दू हैं. सभी वर्ण हम सभी में है. न कोई अस्पृश्य है ना ही कोई स्पृश्य. हम सभी चारों ही वर्णों के कार्यों को करते हैं.लोकतंत्र की स्थापना में आरएसएस की भूमिकाहोस्बाले ने कहा कि देश में लोकतंत्र की स्थापना में आरएसएस की भूमिका रही. ये बात विदेशी पत्रकारों ने लिखी थी. तमिलनाडु में मतांतरण के विरुद्ध हिन्दू जागरण का शंखनाद हुआ था. उन्होंने संघ के संघर्ष काल को बताया कि किस तरह से संघर्ष के दौर से संघ गुजरा. उस दौर का किया जिक्र जब पत्रकार संघ के कहने से खबर तक नहीं छापते थे, लेकिन आज संघ छपता है तो अखबार बिकता है. संघ के सैंकड़ो लोगों की हत्याएं हुई लेकिन संघ के कार्यकर्ता डरे नहीं है.