केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए कहा है कि यह विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव करता है और इसमें गरीबों, किसानों, मज़दूरों आदि का ख्याल न रखते हुए पूंजीपतियों का हित देखा गया है. विपक्ष ने नेताओं इस बजट को निराशाजनक, पूरी तरह से विफल और लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात करने वाला बताया है.बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और कनार्टक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया समेत कई नेताओंने बजट पर जमकर निशाना साधा है.बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई बजटीय घोषणाओं पर निराशा जाहिर की है. उन्होंने कहा, 2014 में जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, तब नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था.उन्होंने (केंद्र सरकार ने) 2022 तक 80 करोड़ नौकरियां/रोजगार देने का वादा किया था. अब साल 2023 आ गया है, लेकिन उनकी जुमलेबाजी की आदत नहीं गई.” आरजेडी नेता ने कहा, बिहार ने भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को शत-प्रतिशत सांसद दिए हैं, लेकिन उन्होंने बिहार के लोगों को धोखा दिया है.”दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के लिए यह बिना फायदे वाला बजट है. हम कर के रूप में 1.78 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं, लेकिन बदले में हमें केवल 325 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं. बाकी राज्यों को केंद्रीय करों का 42 प्रतिशत मिलता है और दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपये मिलते हैं. दिल्ली के साथ हमेशा बुरा व्यवहार किया जाता है. ऐसा केवल आम आदमी पार्टी सरकार के साथ नहीं है, बल्कि 2001 से यही स्थिति है. बाईस वर्ष बीत गए, लेकिन हमें वही राशि मिली. यह दिल्ली के साथ अन्याय है.कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बजट में इस केंद्र शासित प्रदेश की उपेक्षा की गई है. पार्टी की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने एक बयान में कहा जम्मू कश्मीर की आम बजट में उपेक्षा की गई है। इसके अलावा इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के श्रमिकों की पारिश्रमिक नहीं बढ़ाई गई है.केंद्रीय बजट को जनविरोधी और अवसरवादी करार देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि गरीबों को इससे कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा, यह केंद्रीय बजट भविष्यवादी नहीं, बल्कि पूरी तरह से अवसरवादी, जनविरोधी और गरीब विरोधी है. यह केवल एक वर्ग के लोगों को लाभान्वित करेगा. यह बजट देश में बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने में मदद नहीं करेगा.