सरकार ने तीन सालों में कॉलेजियम के 18 प्रस्तावों को किया वापस, संसद में कानून मंत्री रिजिजू का जवाब.कानून मंत्री रिजिजू के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सात प्रस्तावों के संबंध में हाईकोर्ट के कॉलेजियम से जानकारी मांगी थी, जबकि अन्य पांच को एससीसी द्वारा हाईकोर्ट को भेजने का निर्णय लिया गया था।” वहीं, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले में एक और सवाल का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि सात जजों के लिए वैकेंसी थी और एससीसी ने हाल ही में 34-न्यायाधीशों की पीठ में सभी वैकेंसीज को भरने की सिफारिशें की थीं।हाईकोर्ट में नियुक्तियों पर रिजिजू के लिखित जवाब में कहा गया, “30.01.2023 तक, विभिन्न हाईकोर्ट्स में 1108 न्यायाधीशों की स्वीकृत पदों में 775 न्यायाधीश कार्यरत हैं और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 333 पद खाली हैं। 142 हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रस्ताव विभिन्न चरणों में हैं। इन 142 में से 4 प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास लंबित हैं और 138 सरकार में विभिन्न चरणों में हैं। वहीं, 236 रिक्तियां अभी तक हाईकोर्ट कॉलेजियम से प्राप्त नहीं हुई हैं। यह रिक्तियों की सिफारिशें करने के लिए छह महीने की समय सीमा का उल्लंघन है।”चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए दो नामों की सिफारिश की। कॉलेजियम की सिफारिश ऐसे समय में आई है जब पिछली पांच सिफारिशें जो दिसंबर 2022 में वापस की गई थीं, अब भी लंबित हैं। कॉलेजियम सिस्टम के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके 4 वरिष्ठतम सहयोगी राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किए जाने वाले उम्मीदवारों की सिफारिश करते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 124 (2) के तहत उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं।














