देश भर में कई शहरों, स्मारकों आदि के नाम बदलने के लिए आयोग गठित करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यही नहीं इस दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को यह सीख भी दी कि वह ऐसे सवाल उठाकर हिंदुत्व के अर्थों को कमजोर न करें। याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि कई शहरों के नाम आज भी मुस्लिम आक्रांताओं के ऊपर हैं। इन नामों को बदलना चाहिए और प्राचीन नाम रखे जाने चाहिए। इससे लोगों के दिमाग से आक्रांताओं की यादें धूमिल होंगी और देश की संस्कृति के प्रति गौरव बढ़ेगा। इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि आप इतिहास के किसी हिस्से को कैसे मिटा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि भारत में विदेशी लोगों ने आक्रमण किया था और उनका शासन रहा, लेकिन उस हिस्से को झुठला तो नहीं सकते। वह भी एक इतिहास ही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पिछला इतिहास वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करे। यही नहीं आक्रांताओं के नाम पर स्थान और स्मारकों के नाम होने से हिंदू संस्कृति के प्रभावित होने के सवाल पर भी जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हिंदू धर्म बहुत उदार है और वृहद है। वह सभी को अपने में समाहित कर लेता है और किसी से प्रभावित नहीं होता। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व एक जीवनशैली है और भारत सेक्युलर देश है।
यही नहीं हिंदुत्व के जिक्र पर जस्टिस जोसेफ ने अपनी निजी आस्था का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हिंदू धर्म के ग्रंथ वेद, उपनिषद और भगवद् गीता में जिन मूल्यों का जिक्र है, उनका कोई मुकाबला नहीं है। कोई भी इनके अर्थ को कमजोर नहीं कर सकता। हमें अपनी महानता और उदारता को समझना होगा। दुनिया भारत की ओर इतिहास में देखती रही है और आज भी उसकी हम पर नजर है। मैं ईसाई हूं, लेकिन हिंदुत्व में भी उतनी ही रुचि और आस्था रखता हूं। मैं हिंदुत्व की महानता को समझने का प्रयास करता हूं।’