RJD सुप्रीमो लालू यादव इन दिनों पटना से हजारों मील दूर सिंगापुर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। उनके वापस लौटने की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, बिहार की राजनीति में गरमाहट साफ-साफ महसूस की जा सकती है। नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर जारी घमासान हो या फिर उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर, बिहार में इन इनों कई सियासी चैप्टर खुले हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी भूचाल आने वाला है।
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश कुमार पर हमले की धार तेज करते जा रहे हैं। उनके राजनीतिक हमले अब व्यक्तिगत हो चुके हैं। इस नई लड़ाई के कई पहलू हैं। यह सिर्फ नीतीश बनाम कुशवाहा की लड़ाई नहीं है। यहां पर्दे के पीछे नीतीश बनाम बाकी सब की बात कही जा रही है।
नीतीश कुमार घोषणा कर चुके हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन डिप्टी सीएम तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेगा। नीतीश यह कहकर आरजेडी की उस बेचैनी को शांत करना चाहते थे कि आखिर तेजस्वी सीएम कब बनेंगे। पर आरजेडी की बेचैनी इससे शांत नहीं हुई है। गोपलागंज और कुढ़नी के उपचुनाव में महागठबंधन की हार से यह बढ़ ही गई है। आरजेडी के बड़े तबके को लगने लगा है कि नीतीश के पास वोट ट्रांसफर करने की हैसियत अब बची नहीं है। ऐसा मानने वालों को लगता है कि 2025 तक इंतजार के बजाय अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही सीएम की कुर्सी पर तेजस्वी काबिज हो जाएं।