उपेंद्र कुशवाहा ने आज प्रेस कांफ्रेंस की थी. पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आखिरकार उन्हें कौन सा हिस्सा चाहिये जिसे वह नीतीश कुमार से मांग रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने जवाब दिया-मुझे वैसा ही हिस्सा चाहिये, जैसा 12 फरवरी 1994 को गांधी मैदान में रैली कर नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से मांगा था।12 फरवरी 1994 की जिस रैली का जिक्र उपेंद्र कुशवाहा ने किया वह कौन सी रैली थी. 12 फरवरी 1994 को पटना के गांधी मैदान में कुर्मी चेतना रैली हुई थी. इस रैली से नीतीश कुमार लालू विरोधी चेहरा बन कर उभरे थे. उससे पहले वे लालू प्रसाद यादव के खास सहयोगी माने जाते रहे थे. इस रैली के मंच से नीतीश कुमार ने एलान किया था-लालू प्रसाद यादव हमारे वोट की बदौलत सत्ता में आये हैं लेकिन उन्होंने हमारा हक नहीं दिया. हमें अपना हक चाहिये।1994 की कुर्मी चेतना रैली के मंच से ही लव-कुश के समीकरण की चर्चा हुई. लव यानि कुर्मी और कुश यानि कुशवाहा. नीतीश कुमार ने 1994 से लेकर अब तक इसी लव-कुश समीकरण को आधार बनाकर आगे की सियासत की. लेकिन अब उपेंद्र कुशवाहा ‘कुश’ का हिस्सा मांग रहे हैं. वे खुल कर तो ये बात नहीं बोल रहे हैं लेकिन जो बोल रहे हैं उसका मतलब यही है. वे ये बता रहे हैं कि बिहार में अगर नीतीश कुमार 17 सालों से राज कर रहे हैं तो उसमें कुशवाहा वोटरों का बड़ा योगदान रहा है. लेकिन कुशवाहा समाज को उसका हिस्सा नहीं मिला।अभी इशारों में बात कर रहे उपेंद्र कुशवाहा आने वाले दिनों में ये बात खुल कर बोलेंगे. वे अपनी जाति के वोटरों को मैसेज देना चाह रहे हैं कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के लिए वोट तो कुशवाहा देते रहे लेकिन मौज लव करते रहे. वे मंत्रिमंडल से लेकर शासन-प्रशासन में कुशवाहा समाज को हिस्सा नहीं मिलने की बात उठायेंगे. उपेंद्र कुशवाहा ये बतायेंगे कि नीतीश कुमार के राज में किस तबके के लोगों की मौज रही।