“चुटिया काट ली है… जय श्रीराम… मुट्ठी में है”
यहां जय श्री राम कोड था बीजेपी विधायक कृष्णानंद के लिए। वे चोटी रखते थे और शूटर राकेश पांडे ने जब उनकी हत्या की तो चोटी (शिखा) तक काट ली। इसके बाद यही चोटी बाद में मुख्तार अंसारी को लाकर दिखाई भी गई।
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड से पूरा पूर्वांचल थर्रा उठा था। बात 29 नवंबर, 2005 की है जब गाजीपुर में कृष्णानंद को एक क्रिकेट प्रतियोगिता में बतौर चीफ गेस्ट बुलाया गया था। इसी कार्यक्रम से वापस लौटने के दौरान राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी ने 500 से ज्यादा गोलियां बरसाई थीं। घटना में कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की मौत हो गई। इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार और उसके भाई अफजाल अंसारी पर लगा। हत्याकांड पर मुख्तार अंसारी की पल-पल नजर थी। जैसे ही उसे कृष्णानंद की मौत की जानकारी हुई, उसने माफिया अभय सिंह से फोन पर कहा भी कि चोटी काट ली है, जय श्रीराम… मुट्ठी में है।
कृष्णानंद राय ने मुख्तार और अफजाल अंसारी के गढ़ माने जाने वाले मुहम्मदाबाद में 2002 का विधानसभा चुनाव जीत लिया था। वह अफजाल अंसारी को हराकर बीजेपी विधायक बने, जिससे अंसारी बंधुओं और कृष्णानंद राय के बीच दुश्मनी और बढ़ गई। इसी बीच जब 2005 में कृष्णानंद की हत्या हुई तो मुख्तार ने अभय सिंह को फोन कॉल पर पूरी जानकारी दी। उसने बताया कि कृष्णानंद और मुन्ना बजरंगी के बीच गोलियां चल रही हैं और जय श्री राम… मुट्ठी में है। यह सुनते ही अभय सिंह भी मुख्तार के संकेत को समझ गया कि कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद चोटी रखते थे और शूटर राकेश पांडे ने जब उनकी हत्या की तो चोटी (शिखा) तक काट ली। इसके बाद यही चोटी बाद में मुख्तार अंसारी को लाकर दिखाई भी गई। यह पूरी फोन कॉल की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी वायरल हुई।
तत्कालीन आईजी एसटीएफ अमिताभ यश के अनुसार, मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर जेल में बंद रहते हुए माफिया अभय सिंह को कॉल किया था। तब अभय सिंह फैजाबाद जेल में बंद थे। कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की मौत के बाद पूरे राज्य में भूचाल आ गया था। बीजेपी के दिग्गज नेता और वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह धरने पर बैठ गए थे। इसके अलावा, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी समेत तमाम बीजेपी दिग्गजों ने इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की। शुरू में तो आनाकानी होती रही और किसी तरह मामले को सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया। बाद में जब कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की। मई 2006 में मामले को सीबीआई को सौंपने का ऑर्डर दिया गया। हालांकि, जब 2019 में सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो मुख्तार अंसारी समेत अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया।
मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश माफिया नेता मुख्तार अंसारी की मौत के मामले की न्यायिक जांच के लिए शुक्रवार को एक अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को नामित किया गया। मुख्तार अंसारी को बृहस्पतिवार को तबीयत बिगड़ने के बाद बांदा जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी। बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) भगवान दास गुप्ता की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मामले की जांच के लिए गरिमा सिंह अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सांसद-विधायक अदालत बांदा) श्रीमती गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। पत्र के मुताबिक वरिष्ठ अधीक्षक जिला कारागार बांदा द्वारा 28 मार्च को मुख्तार अंसारी की मौत के मामले की न्यायिक जांच के लिए अधिकारी नामित करने की याचना की गयी थी। सीजेएम ने नियुक्त जांच अधिकारी से एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है।
साभार : हिंदुस्तान