करीब तीन वर्ष बाद उच्चतम न्यायालय में 10,11,12 जनवरी 2023 को सहारा-सेबी केस की सुनवाई होनी थी। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने केस में तत्परता दिखाते हुए शीतकालीन अवकाश के तत्काल बाद 9 जनवरी को ही सुनवाई के लिए बुलाया और पूर्व में हुई केस स्टडी के बाद दोनों पक्षों को सुना। केस सुनने सहारा इंडिया के आग्रह को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए कई आदेश व निर्देश दिए हैं।आइये इसे बिंदुवार संक्षेप में समझते हैं।
1:- इस केस में बीच मे पक्ष बने सभी याचिकाओं को यह कहते हुए कि आप चाहें तो हाई कोर्ट में अपील कर सकतें हैं, खारिज कर दिया।
2:- संस्था के कार्यो पर रोक एवं सोसायटी रजिस्ट्रार के मैटर में हाई कोर्ट दिल्ली को आदेश दिया कि इस मामले में आप ही त्वरित सुनवाई कर इस मामले में शीध्रतिशीघ्र अपना निर्णय दें।
3:- सहारा-सेबी केस मे विगत 10 वर्षों में जितने भी वकील उपस्थित हुए हैं उन सबको सभी माध्यम यानी डाक से, ईमेल से , या दस्ती नोटिस भेजा जाय, (दस्ती नोटिस का मतलब है हाथोहाथ नोटिस यानी डायरेक्ट उनके हाथ में रिसीव करवाना) एवं उनको यदि इस केस में कुछ कहना सुनना आपत्ति इत्यादि करना है तो दस्ती नोटिस प्राप्ति के 4 सप्ताह के अन्दर कर दें, जिससे कि अगली डेट पर सबकी बात सुनी जाकर जिरह- बहस के बाद निर्णय दिया जा सके, एवं बाद में कोई यह कहने वाला कि… “मुझे मौका नहीं मिला, जानकारी नहीं हो पाई, मैं हाजिर नहीं हो सका, (निर्णय पर कोई आपत्ति करने वाला) ….शेष न बचे।
4:- एस्क्रो अकॉउंट में पड़े धन या सेवी के खर्चे पर से ही एक विद्वान एडवोकेट नियुक्त किया जाय जिसे कोर्ट में प्रति उपस्थिति पर 10 हजार एवं केस में आन-रिकार्ड को पढ़ने तथा तैयारी शुल्क के रूप में 40 हजार मासिक दिया जाएगा। जो इस मामले में नोडल अधिवक्ता रसद समन्यवक के रूप में कार्य करेंगे।
साथ ही अगली flexible फ्लेक्सिबल (आगे पीछे भी हो सकती है, जैसे 10,11,12 2023जनवरी के स्थान पर 9 जनवरी 2023 हो गया था) डेट 18,19,20 अप्रैल दी जाती है।
उक्त स्थिति को देखने समझने के बाद यह कहा जा सकता है कि सहारा सेबी मामला अब निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।