बालाजी न्यूज़: हाल की कुछ घटनाओं पर गौर करें तो बिहार की राजनीति में काफी उथल पुथल मची हुई है। जहां एक ओर CM नीतीश अपने मिशन PM में लगे हुए हैं, वहीं लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव अपने मिशन CM में लगे हुए हैं।
ये दोनों ही अपने अपने मिशन में लग कर कभी बंगाल की CM ममता की तर्ज पर तो कभी दिल्ली के CM केजरीवाल की तर्ज पर बिहार में शासन व्यवस्था संभालने में लगे हुए हैं।
हालिया घटनाओं से इन दोनों नेताओं ने सिद्ध कर दिया है कि ये माइनॉरिटी (मुस्लिम) को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इफ्तार पार्टी की बात हो या फिर दंगे में गिरफ्तारी की बात हो। हर जगह पूरे बिहार में मुसलमानों में बिहार के CM और डिप्टी CM को वोट बैंक दिखाई पड़ रहा है।
लेकिन इस दिखने वाले अंधेपन में ये दोनों नेता बहुत बड़ी गलती भी कर बैठे हैं, जिसका खामयाजा इन्हें 2025 के चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
RJD द्वारा ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूतों को दरकिनार कर देना इन्हें 2025 के चुनाव में महंगा पड़ सकता है। हाल ही में पिछले सप्ताह RJD ने बिहार के सभी जिलों में अपनी पार्टी के जिला अध्यक्षों की घोषणा की थी।
इस घोषणा में जहां ब्राह्मण जाति से एक भी अध्यक्ष नहीं बनाया गया वहीं भूमिहार जाति से सिर्फ एक जिला अध्यक्ष बनाया गया है। राजपूतों का भी वैसा ही हाल है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यादवों और मुसलमानों को तवज्जो दी गई है।
एक तो इन्होंने ब्राह्मणों को पार्टी में जगह नहीं दी. ऊपर से RJD के नेता यदुवंशी यादव का कहना है कि वो ब्राह्मणों को बिहार से मारकर भगा देंगे ठीक वैसे ही जैसे कि रूस से ब्राह्मणों को मार कर भगाया गया था तो वो भाग कर भारत आये थे।
इतना ही नहीं RJD के नेता पहले ही ब्राह्मणों पर यह भी आरोप लगा चुके हैं कि समाज को बांटने में सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणों का हाथ रहा है।
इन नेताओं ने ब्राह्मणों के DNA तक को नहीं छोड़ा। उनका कहना है कि ब्राह्मणों के DNA से ये सभी खुलासे हुए हैं।
बिहार में पदस्थापित आईएएस और आईपीएस की बात करें तो वो भी वर्तमान सरकार से खासा नाराज दिख रहे हैं। बिहार में पदस्थापित आईएएस और आईपीएस में से कई ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूत जाति से आते हैं। जाहिर सी बात है अपनी जाति पर टिप्पणी किसी को पसंद नहीं होगी।
आईएएस के हत्यारे को जेल से रिहा करवाया नीतीश सरकार ने
कुछ हद तक अगर बिहार में पदस्थापित आईएएस और आईपीएस अपने जाति पर कड़ी टिप्पणी को सहन कर भी लें लेकिन अपनी बिरादरी (आईएएस जी कृष्णैया) के हत्यारे को रिहा करने वाली सरकार पर वे कभी खुश नहीं रह सकते।
हाल ही में एक आईएएस की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को रिहा करवाने के लिए नीतीश सरकार ने कानून बदल डाला। नीतीश को लग रहा होगा कि इस बाहुबली के दम पर एक दो सीट ज्यादा ले आयेंगे 2024-2025 में। लेकिन इसके परिणाम इसके उलट भी हो सकते हैं।
इस बात को कोई आईएएस और आईपीएस अधिकारी कैसे भूल सकता है
कहीं न कहीं मन में एक गुस्सा तो रहेगा। और यह गुस्सा सही समय पर बाहर आएगा भी। आईएएस आईपीएस को हल्के में ले रही है नीतीश सरकार। खामयाजा तो भुगतना पड़ेगा।
ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूत एकजुट हुए तो बिहार में 2025 में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की सरकार बनेगी। यदि इस एकता हो तोड़ने में नीतीश और तेजस्वी सफल हुए तो तेजस्वी का तो CM बनना तय है। लेकिन इससे भी पहले नीतीश का मिशन PM 2024 में पूरा हो जाना चाहिए।