झालसा को प्रतिवादी बनाते हुए मंतव्य मांगा,बिरहोर समुदाय पर भी जवाब देने को कहा
हज़ारीबाग़ – झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और अरुण कुमार राय की बेंच ने एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए हुए ग्रामसभा के प्रक्रिया का विवरण सरकार से कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। पिछली सुनवाई में सरकार से ग्राम सभा की प्रक्रिया का विवरण मांगा था। सरकार ने जिला प्रशासन द्वारा जारी पत्र कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने सरकार से ग्राम सभा की प्रक्रिया का विवरण सरकार से कोर्ट में उपलब्ध कराने को कहा ।फर्जी ग्रामसभा कर लोगों के फर्जी हस्ताक्षर कर एनटीपीसी द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस लिए जाने के मामले में मंटू सोनी द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश दिया है । अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह और दीपक कुमार प्रार्थी की तरफ से पक्ष रख रहे हैं। । कोर्ट ने विलुप्त प्राय आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय पर भी सरकार से जवाब मांगा है ।
झालसा को प्रतिवादी बनाते हुए मंतव्य के साथ सीआईडी जांच रिपोर्ट पर भी जवाब मांगा
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और अरुण कुमार राय ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए झालसा को प्रतिवादी बनाते हुए मेम्बर सेक्रेट्री से मंतव्य मंतव्य की मांग की है। वहीं क्षेत्र की दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध खनन के दोषियों को सरकारी आदेशों का गलत व्याख्या कर दोषियों को एफसी एक्ट से बचाने के लिए तत्कालीन डीएफओ आर एन मिश्रा द्वारा रिपोर्ट बदलने और मात्र एक सौ एकड़ में अवैध खनन की रिपोर्ट भेजी गई थी । जिसकी सीआईडी जांच में पुष्टि हुई और भारत सरकार की जांच में चार सौ एकड़ में अवैध खनन/अतिक्रमण किए जाने की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था। इसपर भी कोर्ट से सरकार से जवाब मांग दिया है।
पीसीसीएफ़ के बदले आरसीसीएफ ने कोर्ट को दिया अधूरा जवाब
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में फर्जी ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति की जांचके रिपोर्ट पर कार्रवाई नही करने एवं रिपोर्ट बदलने के मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ़) झारखंड को व्यक्तिगत शपथपत्र दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया था। प्रधान मुख्य वन संरक्षक के बदले क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) ने कोर्ट में आधा अधूरा और भ्रामक जवाब शपथपत्र के माध्यम से दिया।जिसको लेकर प्रार्थी के अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह और दीपक कुमार में कोर्ट में लिखित रूप से बताया कि क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ने कोर्ट को अधूरा और भ्रामक जवाब दिया है । जांच अधिकारी ए.के परमार के रिपोर्ट बदलने के मामले में कहा गया है कि उन्होंने गलत रिपोर्ट बनाया है जिसके लिए उनको शो कॉज किया गया है। लेकिन हाईकोर्ट से यह तथ्य छुपा दिया गया जिसमें ए.के परमार ने उपरोक्त शो कॉज नोटिस का जवाब दे दिया और जवाब देने के बाद उनके खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाई नही किया था। सुनवाई के दौरान एनटीपीसी अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि एनटीपीसी पुनर्वास-विस्थापन और रोजगार दे रही है । इसपर कोर्ट ने विवरण उपलब्ध कराने को कहा ।